निहार सखी निहार à¤à¤• बार
अंतर तम के अंदर
अनहद राग सà¥à¤¨à¥‹ सखे
बंद पलकों के à¤à¥€à¤¤à¤°
अरसों से बरसों तक
रà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¤¾à¤µ दब-दब कर
कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ संग जब आते थे
गरà¥à¤® हवा बन-बन कर,
पूछा नहीं तà¥à¤®à¤¨à¥‡ तो कà¤à¥€
कौन पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ कà¥à¤¯à¤¾ उतà¥à¤¤à¤° ?
रमे रमा रमण निरंतर
रोम-रोम उजागर
थम गई अंधियारी आà¤à¤§à¥€
या,अबà¤à¥€ खड़े पड़ाव पर ?
आओ ज़रा à¤à¤• दीप जलाà¤à¤
हम-तà¥à¤® साथ समà¥à¤¹à¤² कर
पà¥à¤°à¥‡à¤® बाती बन सà¥à¤²à¤—े जिसमà¥