विशेष (20/03/2024)
नुक्कड़ नाटकों के कारण समाज में बदलाव आया है -- डॉ.सुमन
दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध श्री अरबिंदो कॉलेज के तत्वावधान में सांस्कृतिक महोत्सव कार्यक्रम महक --2024 के अंतर्गत नाट्य संस्था " मोक्ष " के माध्यम से अंतर विश्वविद्यालय नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । इस आयोजन में दिल्ली विश्वविद्यालय ,आई.पी. यूनिवर्सिटी , नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी आदि विश्वविद्यालयों के अलावा विभिन्न कॉलेजों से आए नुक्कड़ नाटक की लगभग 75 टीमों ने अपना पंजीकरण कराया । अंत में 13 टीमों को प्रतियोगिता के लिए चयन किया गया । सभी टीमों ने अपनी बेहतर प्रतिभा का प्रदर्शन किया । मोक्ष के संयोजक डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि नुक्कड़ नाटकों के मंचन की प्रतियोगिता में निर्णय करने के लिए युवा नाटककार श्री नक्षत्र सचदेवा , प्रोफेसर राजकुमार वर्मा व डॉ.पंकजेंदर किशोर आदि थे । इसके अलावा डॉ.अनिता कुमारी डॉ. शिवमंगल कुमार , डॉ.प्रशांत बड़थ्वाल श्री अमन कुमार , डॉ.कल्पिता सोनेवाल , डॉ. महेश कौशिक , श्री अभिनव प्रकाश , श्री साहिल मनचंदा आदि भी उपस्थित रहे । मोक्ष नाट्य संस्था के संयोजक डॉ. हंसराज सुमन ने अपने उद्घाटन भाषण में प्रतिभागी टीमों को संबोधित करते हुए कहा कि आधुनिक युग में नुक्कड़ नाटकों का प्रचलन जन जागृति के लिए जन आन्दोलनों के रूप में किया जाता रहा है। वर्तमान समय में आधुनिकता और गतिशील जीवन शैली के कारण नुक्कड़ नाटकों के प्रति लोगों का रुझान कम हुआ है। गली नुक्कड़ पर अल्पावधि में खेले जाने वाले नाटकों की रोचकता कम नहीं हुई है परंतु लोगों का घरों में सिमट कर रह जाना एवं सामाजिक जीवन की शिथिलता ने नुक्कड़ नाटकों को उपेक्षित कर दिया है। नेटफ्लिक्स पर ओटीटी व लघु फिल्मों के प्रसारण के कारण भी लोगों की रुचि नुक्कड़ नाटकों में कम हुई है। बावजूद इसके नुक्कड़ नाटकों के कारण समाज में बहुत बड़ा बदलाव आया है । कोरोना के बाद लोगों ने अपने यूट्यूब चैनल बनाकर लघु फिल्मों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया है जिससे समाज में बदलाव हुआ है । डॉ. सुमन ने आगे कहा कि नुक्कड़ नाटक हमारी भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहे हैं । ये नाटक सिर्फ मनोरंजन का साधन ही नहीं है बल्कि शिक्षा , जागरूकता का माध्यम भी रहे हैं। साथ ही नुक्कड़ नाटक के द्वारा कोई समुदाय और समाज अपनी मांग और समस्याएँ आसानी से सरकार तक पहुंचा सकते हैं। इस तरह से नुक्कड़ नाटक सरकार और समाज के बीच बातचीत और समस्याओं के समाधान का उत्तम माध्यम रहे हैं। नुक्कड़ नाटक विधा को जीवित रखने के लिए आवश्यक है कि नाटक और रंगमंच को पाठ्यक्रमों में लगाना होगा और रंगमंच के लिए कलाकारों को तैयार करना चाहिए ताकि नुक्कड़ नाटक महानगरों तक ही सीमित न रहे बल्कि गांवों में पहुंचकर युवा पीढ़ी को शिक्षित किया जा सकें । उन्होंने यह भी बताया कि नुक्कड़ नाटकों पर बहुत कम शोध कार्य हुए हैं विश्वविद्यालयों की शोध समिति को इस ओर ध्यान देना चाहिए तभी नुक्कड़ नाटकों के प्रति लोगों में रूचि बढ़ेगी । डॉ. सुमन ने बताया है कि नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता में शामिल सभी टीमों ने अलग- अलग विषयों को केंद्र में रखकर दर्शकों का मनोरंजन किया । निर्णायक मंडल के सदस्य श्री नक्षत्र सचदेवा ने विजेता टीम की घोषणा की । उनके अनुसार प्रथम पुरस्कार गुरुतेग बहादुर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को दिया गया , वहीं दूसरा पुरस्कार , शहीद भगतसिंह कॉलेज ( सांध्य ) व तीसरा पुरस्कार नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी को दिया गया । इसके अलावा सब्जेक्ट व बेस्ट थीम के लिए कालिंदी कॉलेज की राग टीम को मिला । नुक्कड़ नाटक की प्रतियोगिता के अंत में डॉ. अनिता कुमारी ने सभी टीमों के कलाकारों व उनके साथ आए साथियों का धन्यवाद किया । |
Copyright @ 2019.