जिसने पटका उठा उठा,
विश्व विजेता के अरमानों को।
धूल धूसरित किया अखाड़े में,
विजयी विश्व के गानों को ।
जो जीती लाडो अपनी सदा,
सोचो बिन लड़े कैसे हार गयी ।
एक दिन में तीन को पटका,
फिर कैसे अखाड़े के पार गयी।।
सोच समझ से परे हैं बातें,
बातें तो उठ रहीं बड़ी बड़ी।
देश प्रश्न कर रहा है गुस्से में ,
हारी बिनेश क्यों खड़ी खड़ी।
लाड