विशेष (28/07/2024)
जीवन की यही है रीत,यहाँ हार के बाद होती है जीत - विनोद कुमार सिंह,स्वतंत्र पत्रकार

संसार तो एक समर क्षेत्र है।इस समर क्षेत्र में दोनो प्रतिद्वन्दी अपने अपने सर्मथकों,शुभ चिन्तकों के सहारे अपनी किस्मत अजमानें उतरता है,किसी के पक्ष में "विजयश्री " का ताजपोशी होती है वही दूसरी ओर उसके प्रतिद्वन्धी को पराजय की पीड़ा से गुजरना पड़ता है ।मै आज आप के समक्ष चुनावी समर क्षेत्र में पराजित प्रत्याशी की पीड़ा पर मार्मिक कहानी बताऊँ इसके पहले एक प्रचलित भजन सहारा लेना चाहूँगा-" वैशण्व जन तेनें कहियें पीर पराई जाने रे "।अर्थात-सच्चे हितेषी,मित्र तो सच्चे संत के समान होते है।जो हमेशा ही आपका अपना हितेषी,मित्र,शुभ चिन्तक व समर्थक हमेशा ही आपके साथ खड़े होते है।आपको मदद करने के तत्पर रहते है।लेकिन कुछ ऐसे भी होते है जो केवल आपके सुःख व अच्छे वक्त में खड़े रहते है लेकिन मौका मिलते व आपके विपरीत समय में बीच मझधार में छोड़ कर खिसक जाते है।खैर आज मै आप के समक्ष चुनाव की एक चर्चित घटना की चर्चा कर रहें है।कहानी का प्रराम्भ एक पराजित प्रत्याशी की प्रणाम से प्रारम्भ है।यह बात 13 जुलाई 24 की है।देश की राजधानी दिल्ली के लुटियन जोन के रायसीना मार्ग स्थित प्रजातंत्र के प्राण व सच्चे प्रहरी का ऐतिहासिक प्रेस कल्ब ऑफ इण्डिया परिसर में जहाँ पर आज विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की इतिहास के पन्ने में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है।मौका है एक मात्र मान्यता प्राप्त पत्रकारों की सन 1966 में स्थापित संगठन जो प्रेस ऐसोशिएशन के द्विवार्षिक चुनाव 24। मै यहाँ स्पष्ट कर दूँ कि प्रेस ऐसोशिएशन का वही पत्रकार सदस्य बन सकते है जिन्हे सुचना प्रसारण मंत्रालय भारत के अधीनस्थ पी आई वी से जिन पत्रकारों को मान्यता मिली हो। वही इस चुनाव में हिस्सा व मतदान कर सकते है।शनिवार की सुबह,समय करीब 10:30 बजे।आज हमें दोहरी भूमिका निभा करनी है।एक तरफ जहाँ हमें एक सजग मतदाता के रूप में अपनी मतदान कर अंहम भुमिका अदा करनी है वही दुसरी तरफ चुनावी मैदान में एक कोषाध्यक्ष पद पर एक उम्मीदार के अपने मतदाताओं से अपने पक्ष में मतदान व समर्थन देने मार्मिक अपनी कर अपने आप को विजय श्री बनना है।यहाँ पर स्पष्ट कर दुँ कि यह चुनाव मेरे जीवन कितना अंहम है इसे मै अपने शब्दों में व्यक्त नही कर सकते है।कोई व्यक्ति जब किसी क्षेत्र में पहली वार अपना कदम उठाता है तो वह जज्बाती है-मेरे शाथ कुछ ऐसा ही हुआ।यह चुनाव मेरे जीवन का पहला चुनाव है।चुनावी मैदान सभी प्रत्याशी ने अपनी विजय के लिए रणनीति तैयार कर लिया था ' खासकर नायक जी के पैनल की उत्साह व उमंग दिखते ही बनता था,हो भी क्यों नही-स्वयं नायक जी र्निविरोध अध्यक्ष पर चुने गए थें,खैर-मेरे व मेरे संग र्निदलीय प्रत्याशी जो पहले भी चुनावी मैदान उत्तरे थें कुछ को विजय श्री का सौभाग्य मिला था,कुछ को पराजय स्वीकार करने का अनुभव था। कुल मिला कर चुनावी मैदान में अनुभवी खिलाड़ी के बीच में बिलकुल ही अनाड़ी था।24 जुन 24 को मैने अपने शुभ चिन्तकों के विचार विर्मश के बाद एन एम सी में रखें पेटी में अपना दो पदों के नामाकंन पत्र डाल दिया।पहला कार्यकारणी सदस्य व दुसरा कोषाध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी।नामांकन पत्र की अधिकृत अधिकारियों के द्वारा मेरे दो नामांकन पत्र सही पायें है। प्रेस एसोशिएसन के संविधान के अनुसार एक सदस्य एक पद पर चुनाव लड़ सकता है।मैने अपने शुभ चिन्तकों,समर्थकों व मीडिया मित्रों के परामर्श व गहन-चिन्तन मनन के उपरान्त कोषाध्यक्ष् पद पर चुनाव लड़ने व कार्यकारणी सदस्यों में अपना नाम वापस ले लिया।अब बारी थी चुनावी मैदान के लिए रणनीति बना नें के लिए ' यहाँ मै चुनावी महाभारत के मैदान में अभिमन्यू की अकेला पड़ गया था,सो मैनें अकेले चुनावी चक्रबहु को तोड़ने जी तोड़ प्रयास कर रहा था,अपने मतदाताओ व समर्थको के सम्पर्क,संवाद व सहयोग के लिए लगातार प्रयास कर रहे थें।अन्त में मेरी अग्नि परीक्षा के छड़ी आई गई।13 जुलाई 24 ' प्रेस कल्ब ऑफ इण्डिया का परिसर, चुनाव में तैनात अधिकारीगण के साथ र्निविरोध निर्वाचित अध्यक्ष सी के नायक चुनाव सपन्न कराने में व्यस्त थें।आज मेरे जीवन का अद्भुत पल था,वही अपनी मतदाताओ को अपने पक्ष में मतदान करने के लिए रिझानें समझानें के लिए चुनौती थी।एक याचक की तरह मै खड़ा था शायद मै भी चुनावी समर क्षेत्र में एक योद्धा की तरह खड़े थे ऐसा बाद में उस समय के प्रत्यक्षदर्शी व मीडिया मित्रों नें कहा कि - तकियावाला जी आपने आज आपने हम सभी बता दिया कि चुनाव किस तरह लड़ा जाता है। इस बार पी ए चुनाव को काफी ही उत्साह वर्द्धक बना दिया है।इस दौरान कुछ रोचकक्षण ' कुछ नोंक झोक,हल्की फुल्की हँसी मजाक की फुलझड़ी भी दिखाई थी। संध्या के 5:30 बजे मतदान समाप्त की घोषणा हुई।संग ही संग आपसी सहमति हुई कि आज ही मतगणा करा ली जाए,ताकि कल रविवार व छट्टी का दिन है।इस मतदान में 239 मतदाताओ ने अपने मतदान किया।अब बारी थी मतो की गनती की।चुनाव अधिकारी व अधिकृत प्रतिनिधियों के देख रेख मतपेटी खोली गई।दो घंटो की मशक्त के बाद-चुनाव अधिकारियों द्वारा चुनाव में प्रत्यासियों की उपस्थित में मतदाताओ के फैसला को रोचक अंदाज सुनाया,हालकि मुझे मतगना केद्र पर कुछ हितैषी द्वारा सम्मानित मतदाताओं के फैसले के रुज्ञान से अवगत कराते हुए दिलासा व संत्वना दे रहे थें।आखिरकार अन्तिम फैसला आते ही मेरे अन्दर एक ऐसी शक्ति आ गई थी-जो चुनाव में प्रराजित प्रत्यासी के लिए अति आवश्यक होता है।मेरे प्रतिद्वन्दी के पक्ष में 137 मत पड़े थै जबकि मेरे पक्ष 85 मत मिले।अन्तोगत्वा मुझे 52 मतो से अपने हार को स्वीकार करना पड़ा है।चुनावी समर क्षेत्र में पराजय के बाद बहुत भी बहुत कुछ सीखनें का स्वर्णिम अवसर मिला है।इस चुनाव में उन मीडिया मित्रो,सहयोगी मित्रो को धन्यवाद देना चाहूंगा जिन्होंने मुझे इस चुनाव में सलाह,समर्थन व सहयोग दिया है।उनका दिल की गहराईयों से धन्यवाद।विशेष आभार उन मित्रों व अभिभावक स्वरूप अग्रजों का जो चुनाव मैदान में पराजित होने के बाद भी आज मेरे साथ ना खड़े है बल्कि मुझे अगले चुनावी समर क्षेत्र में उत्तरने के प्रोत्साहित कर रहें । उनका धन्यवाद। आप सभी मतदाताओं जिन्होने मुझे अपना बहुमुल्य मत दिया है।मै उन मतदाताओं को विशेष धन्यवाद व आभार व्यक्त कर रहा हूँ जिन्होंने मुझे अपना मत नही दिया है।क्योंकि मुझे में कोई खमियाँ रही होगी।मै आपसे यह वादा करता हूँ मै अपने मे सुधार कर आपके मापदण्डों की कसौटी पर खरा उत्तरने की कोसिस करूंगा।अतः में चुनाव में सभी विजयी प्रत्याशियों कों मुबारकबाद देना चाहूँगा।अंत में मै अपने हितैषी समाचार पत्र के संपादक व संपादकीय टीम के सम्मानित सदस्यों का ,चुनाव प्रचार साम्रगी तैयार करने वाले मित्रो का जिन्होने प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से मदद व मार्गदर्शन व अपना समर्थन दिया।अंत में मै अजीज पत्रकार बन्धुओं का जिन्होंनें विश्वास दिलाया है कि जीवन की यही है रीत,यहाँ हार के बाद होती है जीत।हार जीत तो जीवन के दो पहलू होते है।अतः मै अपने प्रिय पाठको का जिनका स्नेह,प्रेम व मार्गदर्शन मिलता रहता है । |
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