विशेष (25/07/2024) 
दिल्ली मूल ग्रामीण पंचायत ने निगम बोध घाट की तरह विद्युत एवं सीएनजी चालित आधुनिकतम शवदाह गृहों की मांग की
दिल्ली मूल ग्रामीण पंचायत के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी शिक्षाविद् डॉ.दयानंद वत्स भारतीय ने आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करके दिल्ली के उपराज्यपाल माननीय श्री विनय कुमार सक्सेना से मांग की है कि वह डीडीए को आदेशित करें कि डीडीए  रोहिणी, द्वारका ओर नरेला सब सिटी की अपनी आवासीय कालोनियों ओर समीपवर्ती गांवों के लिए निगम बोध घाट की तरह विद्युत एवं सीएनजी चालित आधुनिकतम शवदाह गृहों का अविलंब निर्माण कार्य करें। वत्स ने कहा कि नरेला, रोहिणी ओर द्वारका सब सिटी में अंतिम संस्कार के लिए लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। डीडीए ने अपनी इन आवासीय कालोनियों के सेक्टरों में आवासीय प्लाट तो काट दिए हैं लेकिन अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट के लिए कोई भूमि आवंटन नहीं की है। इन सभी कालोनियों के समीप ही दिल्ली के गांव ओर अनाधिकृत कॉलोनियों की भरमार है। लोगों को अंतिम संस्कार के लिए भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। वत्स ने कहा कि पिछले दिनों ही डीडीए ने बवाना नरेला रोड पर स्वतंत्र नगर के पास बने चार साल पुराने श्मशान घाट पर बुलडोजर चला कर नष्ट कर दिया था कि यह उसकी भूमि पर अवैध रुप से बना था। गौरतलब है कि इस श्मशानघाट में पिछले चार सालों में साढ़े चार सौ शवों का अंतिम संस्कार हो चुका था। वत्स ने उपराज्यपाल से मांग की है कि डीडीए तत्काल अपनी इन आवासीय कालोनियों में आधुनिकतम श्मशान घाटों के लिए भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भूमि का आवंटन करें ओर प्राथमिकता के आधार पर इनका निर्माण कार्य पूरा करें। वत्स ने कहा कि मरने के बाद सनातन संस्कृति के अनुसार पार्थिव शरीर का सम्मान पूर्वक अंतिम संस्कार 
हो सके इसकी व्यवस्था तो कम से कम सरकार को करनी ही चाहिए। अलीपुर क्षेत्र के गांवों के लोग सदियों से पवित्र यमुना के समीप खेतों में अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करते आए हैं। लेकिन अब उन्हें वहां भी संस्कार करने से रोका जा रहा है। जबकि निगम बोध घाट भी यमुना किनारे ही है।  अलीपुर क्षेत्र में भी ऐसे ही श्मशान घाट की जरूरत है। वत्स ने कहा कि डीडीए को तत्काल एक कार्ययोजना बनाकर रोहिणी, बवाना, नरेला, अलीपुर, कंझावला , किराड़ी द्वारका क्षेत्रों में आधुनिकतम श्मशानघाट बनाने चाहिएं। वत्स ने कहा कि दिल्ली के लगभग 360 गांवों में लोगों को शवों का अंतिम संस्कार करने में भारी परेशानियां होती हैं। श्मशान भूमियों तक आवागमन के पक्के रास्ते नहीं हैं। प्लेटफॉर्म ओर शैडो तक नहीं हैं। बिजली ओर पानी की सुविधा तक नहीं है। 
अंतिम संस्कार के समय लोगों के बैठने व लकड़ियां की व्यवस्था तक नहीं है। बरसात के दिनों में तो हालत ओर भी खराब हो जाती है।
वत्स ने कहा कि हमने दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा शुरू की गई ग्रामोदय योजना के समय जिलों के डी..एम ओर संबंधित अधिकारियों से अनुरोध किया था कि जो 900 करोड गांवों के विकास के आवंटित हुए हैं उनसे सबसे पहले श्मशान भूमियों में सभी सुविधाएं मुहैया कराने पर खर्च किया जाए। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। ग्रामीण अपना पैसा खर्च करके जैसे तैसे काम चला रहे हैं।
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