विशेष (21/07/2024) 
दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित कॉलेजों में सबसे ज्यादा अतिथि शिक्षक हैं।
 फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के  चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र लिखकर मांग की है कि विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों व संबद्ध कॉलेजों में अतिथि शिक्षकों के स्थान पर टेम्परेरी व कंट्रेक्चुअल शिक्षकों की  नियुक्ति की जाए। उन्होंने बताया है कि अतिथि शिक्षक को प्रत्येक सेमेस्टर के बाद उसकी सेवाएँ समाप्त कर हटा दिया जाता है। साथ ही अतिथि शिक्षकों को स्थायी नियुक्ति के समय कोई वरीयता नहीं दी जाती है जबकि टेम्परेरी व कंट्रेक्चुअल शिक्षकों को स्थायी नियुक्ति के समय प्राथमिकता दी जाती है। टेम्परेरी शिक्षक की स्थाई नियुक्ति होने पर उसकी पूरी सर्विस जोड़ी जाती है और कॉलेज को उसे स्थाई करने के लिए दुबारा साक्षात्कार नहीं कराना पड़ता है। उन्होंने बताया है दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) और नॉन कॉलेजिएट वीमेन एजुकेशन बोर्ड तथा विभिन्न कॉलेजों में 4000 से अधिक अतिथि शिक्षक पढ़ा रहे हैं। 

                  फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने कुलपति को लिखे पत्र में बताया है कि नियुक्ति के नये नियम में अतिथि शिक्षक की नियुक्ति की प्रक्रिया ज्यादा जटिल है। नए नियमों के अनुसार अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के समय दो विषय विशेषज्ञ (सब्जेक्ट्स एक्सपर्ट) एक ऑब्जर्वर, एक वाइस चांसलर नॉमिनी, विभाग प्रभारी और प्रिंसिपल चयन प्रक्रिया में बैठते हैं। ठीक इसी तरह से कंट्रेक्चुअल व टेम्परेरी शिक्षक की नियुक्ति में पूरी सलेक्शन कमिटी का पैनल बैठता है। इसलिए उसकी नियुक्ति में कॉलेज को बार-बार चयन समिति की बैठक नहीं करनी पड़ेगी तथा टेम्परेरी शिक्षक का शिक्षण अनुभव भी पूरा जोड़ा जाता है। भविष्य में जब भी स्थायी नियुक्ति होगी उस कॉलेज में पहले से पढ़ा रहे शिक्षकों को ही सलेक्शन कमिटी प्राथमिकता देगी। उन्होंने बताया है कि स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) व नॉन कॉलेजिएट वीमेन एजुकेशन बोर्ड में पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षकों को एक सेमेस्टर में 25 दिन दिए जाते हैं, जिसमें प्रति दिन 2 क्लासेज लेनी पड़ती है, वहीं दूसरे सेमेस्टर में भी यही नियम है। लेकिन एसओएल में एक सेमेस्टर में 20 क्लासेज दी जाती हैं। इन दोनों स्थानों पर यूजीसी के नियमानुसार 1500 रुपये प्रति लेक्चर के हिसाब से मानदेय दिया जाता है। उन्होंने बताया है कि इस समय दिल्ली विश्वविद्यालय में 4000 से अधिक अतिथि शिक्षक एसओएल, नॉन कॉलेजिएट वीमेंस बोर्ड व रेगुलर कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं। डॉ. सुमन के अनुसार नॉन कॉलेजिएट में लगभग 1300 शिक्षक (26 सेंटर), एसओएल में लगभग 1500 शिक्षक व रेगुलर कॉलेजों में लगभग 1300 अतिथि शिक्षक हैं। इसके अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों में इग्नू की कक्षाएँ भी लगती हैं जिसमें अतिथि शिक्षक की भांति एकेडेमिक काउंसलर भी रखे जाते हैं।

                 दिल्ली सरकार के कॉलेजों में  सबसे ज्यादा अतिथि शिक्षक ---  डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में पिछले दो साल से स्थायी सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति हो रही है। दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित कॉलेजों में प्रिसिंपलों ने सब से ज्यादा अतिथि शिक्षक नियुक्त कर रखे हैं। उन्होंने बताया है कि अतिथि शिक्षक अक्सर कक्षाएँ लेकर चले जाते है। कॉलेज भी उन्हें किसी कमिटी में नहीं रख पाता है, न ही इस संदर्भ में उसकी कोई जबाबदेही होती है। उन्होंने बताया है कि यदि नियुक्ति की प्रक्रिया यही रही तो शैक्षिक सत्र 2024 - 25 में छात्रों की 50 प्रतिशत कक्षाएँ प्रभावित होने या बिल्कुल नहीं लगने की संभावना है। उन्होंने बताया है कि दिल्ली सरकार के 12 कॉलेजों में फिलहाल नये पाठ्यक्रम के अनुसार 1512 शिक्षकों की आवश्यकता है, जबकि 824 शिक्षक (528 स्थायी और 296 एडहॉक शिक्षक हैं) इसके अलावा अतिथि शिक्षक भी रखे गए हैं। इसलिए यदि कंट्रेक्चुअल या टेम्परेरी शिक्षक नियुक्त किए जाएंगे तो छात्रों की शिक्षा पर असर नहीं पड़ेगा। डॉ.सुमन ने यह भी बताया है और चिंता जाहिर की है कि इन अतिथि शिक्षकों को डूटा, विद्वत परिषद व कार्यकारी परिषद (एसी /ईसी) में वोट डालने का अधिकार नहीं है। जबकि कंट्रेक्चुअल व टेम्परेरी शिक्षकों को तो कम से कम वोट का अधिकार दिया गया है। 

                     कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह से उन्होंने पुनः मांग की है कि जब तक दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों व अन्य कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के पदों पर स्थायी नियुक्ति नहीं होती है तब तक उन कॉलेजों में कंट्रेक्चुअल या टेम्परेरी टीचर्स की नियुक्ति अल्पकाल के लिए की जाए ताकि शिक्षण भी प्रभावित न हो, शिक्षकों को टेम्परेरी पद पर नियुक्ति भी मिल जाएगी।
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