विशेष (27/04/2024)
लोकसभा चुनाव में हर राजनैतिक दल चुनाव आयोग को अपना घोषणा पत्र जमा कराए , घोषणा पत्र लागू न करने वाले दलों की मान्यता समाप्त की जाए।
दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों के संगठन "फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस" ने लोकसभा चुनाव -2024 में हरेक राजनैतिक दल का चुनावी घोषणा पत्र चुनाव आयोग में जमा कराने की मांग की है और कहा है कि चुनाव जीतकर शासन में आने पर चुनावी घोषणा में जनता से किए गए वायदे को पूरा न करने पर उस पार्टी की मान्यता समाप्त कर दी जानी चाहिए। फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में बताया है कि हर पाँच साल बाद लोकसभा चुनाव होते है जिसमें हर राजनैतिक दल जनता को लुभाने के लिए अपने - अपने घोषणा पत्रों में बड़े- बड़े वायदे करते हैं जिसके आधार पर जनता से वोट देने की अपील करते हैं। चुनाव जीतने के बाद सरकार बना लेने पर ये राजनीतिक दल जनता से किए गए वायदे की उपेक्षा करने लगते हैं जबकि जनता ने उन्हें किए गए वायदों पर ही समर्थन दिया था। यह लोकतंत्र में जनता के साथ धोखाधड़ी है। चूंकि चुनाव के समय सभी शक्तियाँ चुनाव आयोग के पास होती है इसलिए चुनाव आयोग की भी जिम्मेदारी बन जाती है कि क्या ये राजनीतिक दल अपने चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वायदे पूरा करते हैं या फिर इनका चुनावी घोषणा पत्र एक जुमला बन कर रह जाता है। यदि ऐसा है तो यह जनता के साथ धोखा है और ऐसे राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द कर देनी चाहिए। डॉ. सुमन ने यह भी बताया है कि वर्तमान समय में हरेक राजनैतिक दलों के घोषणा पत्रों का स्वरूप भी बदल गया है, राजनीतिक दलों का मकसद सिर्फ चुनाव जीतने तक रह गया है। इसके लिए जनता के सामने सम्मोहक भाषण और लुभाने वाले वायदे खूब किए जाते हैं। कभी-- कभी तो राजनीतिक दल भारतीय समाज और भारत की आर्थिक स्थिति की अनदेखी करते हुए वायदे करते हैं ऐसे वायदे पूरा करना भी संभव नहीं होता है। सभी राजनीतिक दलों के लिए जीतने पर युवाओं , महिलाओं व समाज के कमजोर वर्गों के लिए कार्य करना उनकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए लेकिन जीतने पर उनकी प्राथमिकता से ये मुद्दे गायब हो जाते हैं। डॉ.सुमन के अनुसार आज की युवा पीढ़ी की मुख्य समस्या शिक्षा व रोजगार है। सभी राजनीतिक दल इस समस्या के समाधान का वायदा करते हैं। ये राजनीतिक दल जब चुनाव जीत जाते हैं तो युवाओं को दिशाहीन छोड़ देते हैं जिससे लोगों का जनतंत्र से विश्वास उठ जाता है। यह स्थिति भारत के स्वच्छ लोकतंत्र के लिए बहुत घातक है। उन्होंने यह भी बताया है कि राजनीतिक दलों के आश्वासन पर ही जनता उन्हें वोट देती है। भारतीय लोकतंत्र की यही खासियत जनता और राजनीतिक दलों के बीच सेतु का काम करती है अर्थात् परस्पर एक-दूसरे पर विश्वास के कारण ही भारतीय लोकतंत्र की मजबूत स्थिति बनी हुई है। यदि राजनीतिक दल चुनावी घोषणाओं के झूठे वायदे से चुनाव जीतते रहे और सरकार बना कर चुनावी घोषणाओं की उपेक्षा करते रहे तो जनता का सरकार से विश्वास उठ जाएगा और यह स्थिति लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। डॉ. सुमन ने बताया है कि अभी लोकसभा चुनाव -- 2024 में सभी राजनीतिक दल अपने लुभावने घोषणा पत्र के माध्यम से जनता से वोट माँग रहे हैं। चुनाव आयोग को इन सभी दलों के घोषणा पत्र अपने पास रखने चाहिए और आगामी चुनाव में इस पर सवाल उठाना चाहिए यदि राजनीतिक दलों की कार्यशैली अपने घोषणा पत्र के अनुरूप नहीं है तो उसकी मान्यता रद्द कर देनी चाहिए। इसलिए चुनाव आयोग इन राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों पर हस्तक्षेप जरूर करना चाहिए। डॉ. हंसराज सुमन चेयरमैन - फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस फोन - 9717114595 |
Copyright @ 2019.