विशेष (24/01/2024)
आओ दीप जलाà¤à¤- गीता मंजरी मिशà¥à¤°(सतपथी)
निहार सखी निहार à¤à¤• बार अंतर तम के अंदर अनहद राग सà¥à¤¨à¥‹ सखे बंद पलकों के à¤à¥€à¤¤à¤° अरसों से बरसों तक रà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¤¾à¤µ दब-दब कर कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ संग जब आते थे गरà¥à¤® हवा बन-बन कर, पूछा नहीं तà¥à¤®à¤¨à¥‡ तो कà¤à¥€ कौन पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ कà¥à¤¯à¤¾ उतà¥à¤¤à¤° ? रमे रमा रमण निरंतर रोम-रोम उजागर थम गई अंधियारी आà¤à¤§à¥€ या,अबà¤à¥€ खड़े पड़ाव पर ? आओ ज़रा à¤à¤• दीप जलाà¤à¤ हम-तà¥à¤® साथ समà¥à¤¹à¤² कर पà¥à¤°à¥‡à¤® बाती बन सà¥à¤²à¤—े जिसमें विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ हो तेल की धार अकà¥à¤·à¥à¤£-अदमà¥à¤¯ सदà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ योति पà¥à¤°à¤œà¥à¤µà¤²à¤¿à¤¤ हो हर घर पर सà¥à¤¨à¥‹ सखे सà¥à¤¨à¥‹ ना ज़रा à¤à¤¾à¤‚को उनके à¤à¥€ अंदर जिनके शबà¥à¤¦ ख़ामोश रो रहे अकà¥à¤·à¤° सही न पाकर । गीता मंजरी मिशà¥à¤°(सतपथी) |
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