तà¥à¤® अकेले आते तो बाहों का हार पहनाती,
ये जन-सैलाब साथ लाये हो,
कहो मन की बात कैसे कहती ?
शहादत पर तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ मैं आà¤à¤¸à¥‚ नहीं बहाऊंगी,
शरीर ही तो गया है!
मैं तो यहीं हूठ; तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ "शकà¥à¤¤à¤¿",
गरà¥à¤µ है मà¥à¤à¥‡ की "वीर वधू "हूà¤,
बस बनना नहीं चाहती,
अखबारों की सà¥à¤°à¥à¤–ी!
अà¤à¥€ तो चारों तरफ,
नारों की गूंज है,
तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ "बलिदान के उतà¥à¤¸à¤µ" की धूम है।
हमारे मिलन के लिठ,
चाहिठथोड़ी खामोशी,
कà¥à¤