उज्जैन । उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद डॉ. चिंतामणि मालवीय हाई कोर्ट
में प्रस्तुत एक शपथ पत्र को लेकर बुरी तरह फंस गए हैं। कोर्ट ने शपथ पत्र को
प्रथमदृष्ट्या झूठा मानते हुए उनके खिलाफ सीआरपीसी की धारा 340 के तहत मामला दर्ज कर जांच के आदेश दिए
हैं। साथ ही कहा है कि सांसद 10 दिन में याचिकाकर्ता पूर्व सांसद को 3 हजार रुपए हर्जाना दें। पूर्व
सांसद प्रेमचंद गुड्डू ने हाई कोर्ट में सांसद मालवीय के निर्वाचन को चुनौती दी
थी। याचिका में मालवीय द्वारा चुनाव अधिकारी को गलत जानकारी देने सहित अनियमितता
का आरोप लगाया था। मामले में कोर्ट ने मालवीय को 16 अगस्त 2014 को नोटिस जारी कर पेश होने को कहा था।
हालांकि वे कोर्ट में प्रस्तुत नहीं हुए। इस
पर न्यायालय ने एकपक्षीय कार्रवाई के आदेश देते हुए गुड्डू को साक्ष्य प्रस्तुत
करने को कहा था। करीब 5
माह बाद 29 जनवरी 2015 को सांसद कोर्ट में पेश हुए और एक शपथ
पत्र पेश कर कहा कि नोटिस उनके कर्मचारी ने लिया था। वे
इस दौरान संसद सत्र में भाग लेने के लिए दिल्ली में थे। इसलिए एकपक्षीय कार्रवाई न
करते हुए उनका पक्ष भी सुना जाए। गुड्डू के अधिवक्ता प्रतीक माहेश्वरी ने इसका
विरोध करते हुए कहा कि सांसद ने झूठा शपथ पत्र दिया है। नोटिस पर कर्मचारी के नहीं
बल्कि उनके ही हस्ताक्षर हैं। दोनों
पक्ष सुनने के बाद पीठासीन न्यायमूर्ति जरत कुमार जैन ने कहा कि सांसद ने जो शपथ
पत्र पेश किया है,
उसमें
कहा है कि नोटिस उनके कर्मचारी ने लिया था। मगर न तो कर्मचारी का शपथ पत्र दिया है
और न ही नाम का उल्लेख है। बल्कि नोटिस पर सांसद के हस्ताक्षर हैं। ऐसा विरोधाभास
केवल जांच से ही दूर हो सकता है। कोर्ट
ने खंडपीठ के प्रिंसिपल रजिस्ट्रार को आदेश दिया कि धारा 340 के तहत मामला दर्ज कर प्रकरण की जांच की
जाए। जांच में शपथ पत्र झूठा पाए जाने पर सक्षम कोर्ट में आपराधिक मामला दर्ज किया
जाए। न्यायमूर्ति ने यह आदेश भी दिया कि सांसद मामले में आगामी कार्रवाई में भाग
तो ले सकते हैं, मगर उन्हें गुड्डू को हर्जाना देना होगा। |