राष्ट्रीय (01/04/2015) 
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने की नारनौल की अध्यक्ष अंजना अग्रवाल के विरुद्ध कार्यवाही की सिफारिश
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जांच अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर अनियमितताएं तथा धोखाधड़ी पाए जाने पर नगर परिषद, नारनौल की अध्यक्ष अंजना अग्रवाल के विरुद्ध कार्यवाही की सिफारिश की है।
    एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि नगर परिषद की अध्यक्ष के विरुद्ध हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 के नियम 22क के तहत कार्यवाही की गई तथा 20 जून, 2014 को पद से निलम्बित कर दिया गया। उनके ऊपर लगाए गए आरोपों की जांच के लिए 19 अगस्त, 2014 को महेन्द्रगढ़ के अतिरिक्त उपायुक्त को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। 
    प्रवक्ता ने अंजना अग्रवाल के विरुद्ध लगाए गए आरोपों के बारे में विस्तार जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 की धारा 35 के प्रावधानों का दुरुपयोग करते हुए वर्ष 2013 के मध्य से वर्ष के अन्त तक 500 से अधिक विकास कार्य करवाए तथा कोई भी कार्य निविदा नीति के माध्यम से आवंटित नहीं किया गया। प्रवक्ता के अनुसार इस अधिनियम की धारा 35 के अन्र्तगत प्राकृतिक आपदा अथवा गम्भीर सार्वजनिक असुविधा के मामले में ऐसे कार्यों के निष्पादन की असाधारण शक्तियां दी गई हैं, जिनके लिए अन्यथा समिति सक्षम है। यह प्रावधान एक अपवाद है तथा सामान्य प्रक्रिया के तहत विकास कार्य करवाने के लिए नियम नहीं है।
    प्रवक्ता ने बताया कि धारा 35 के तहत उनके द्वारा करवाए गए विकास कार्यों की गुणवत्ता निम्र स्तर की थी तथा समाचारों के अनुसार एक सडक़ तो इसके पूरा होने के 22 दिन के अन्दर ही टूट गई थी। उन्होंने सम्पत्ति हस्तांतरण मामलों में केवल स्वयं के हस्ताक्षर से ही एनओसी जारी कर दी जबकि उक्त एनओसी पर कनिष्ठï अभियंता/नगरपालिका अभियंता/भवन निरीक्षक/परिषद के कार्यकारी अधिकारी के हस्ताक्षर भी आवश्यक हैं। हालांकि कई मामलों में भवन निरीक्षक ने रिपोर्ट दी थी कि वह सम्पत्ति अनधिकृत है तथा एनओसी जारी नहीं की जा सकती। उन्होंने बताया कि एनओसी पर टिप्पणियां उनके पति चमन लाल की लिखावट में हैं जबकि हस्ताक्षर अंजना अग्रवाल के हैं। यह मामला धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है। एक अन्य मामले में उन पर एक ही काम के लिए ठेकेदार को दोहरा भुगतान करने तथा चेक में दी गई राशि के  साथ छेड़छाड़ करने का भी आरोप था। उन्होंने एक ऐसे मामले में खुद के हस्ताक्षर से एनओसी जारी की, जिसमें स्वयं उनके पति खरीददार थे। इसके अलावा, नगर परिषद अध्यक्ष ने कार्य पूरे होने पर ठेकेदारों द्वारा प्रस्तुत किए गए भुगतान बिलों पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया तथा भुगतान के संबंध में घूस की भी मांग की। गैर-कानूनी तरीके से भुगतान रोकने के संबंध में कई ठेकेदारों द्वारा शिकायतें तथा शपथपत्र दिए गए। 
     प्रवक्ता ने बताया कि हालांकि नगर परिषद की अध्यक्ष अंजना अग्रवाल थीं लेकिन उनकी ओर से उनके पति रत्तन लाल उर्फ  चमन लाल नगर परिषद अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे थे। वीडियो तथा ऑडियो फुटेज में उनके पति को अधिकारियों तथा कर्मचारियों को धमकी देते हुए देखा गया, जिससे जाहिर होता है कि वह अध्यक्ष का पति होने के नाते अपनी हैसियत का दुरुपयोग करते हुए अपने गलत कार्यों को अंजाम दे रहे थे। इसके अलावा, वह नगरपरिषद की सरकारी कार का दुरुपयोग भी करते थे। 
    उन्होंने बताया कि परिषद अध्यक्ष को अधिनियम 1973 की धारा 14 तथा 22 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा तथा उपरोक्त अवैध कामों में संलिप्त शेष दोषी कर्मचारियों के खिलाफ निदेशालय/उपायुक्त के स्तर पर कार्यवाही की जाएगी।
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