राष्ट्रीय (31/03/2015) 
खारे पानी के संकट से जूझ रहे मकड़ाना की ग्रामीणों ने सूरत बदली
दूसरे गांव के कुएं से लेकर आते थे पानी, अब हर घर में सप्लाई
यह कहानी हैं पेयजल संकट से जूझ रहे गांव की तस्वीर बदलने की। चरखी दादरी उपमंडल के गांव मकड़ाना के ग्रामीणों ने सरकारी सुविधाओं का मुंह ताकने के बजाय अपने स्तर पर ही अनोखी पहल कर पेयजल समस्या का समाधान किया। मकड़ाना गांव के श्याम मंदिर की पंचायत ने मंदिर के नाम जमीन को पट्टे पर देकर पैसा जुटाया। उसी पैसे से 14 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाई और रेवाड़ी के गांव बव्वा भहाला से पानी लाकर 3500 की आबादी वाले गांव में पेयजल का मुकम्मल इंतजाम कर लिया। घरों में पानी का कनेक्शन और टूटी लगाने का काम पूरा हो गया है।
गांव मकड़ाना की श्याम मंदिर की कमेटी के इस प्रयास में अब तक 55 लाख रूपए खर्च हो चुके है। अभी तक मकड़ाना में पीने के पानी की गंभीर समस्या थी। इलाके का पानी खारा था। बोरिंग अक्सर फेल हो जाती थी। पंचायत ने अभी पास के गांव बलकरा में एक कुआं बना रखा था। उसका भी पानी खारा हो गया। ग्राम पंचायत, मंदिर कमेटी और लोगों के आगे आने से गांव मकड़ाना की समस्या सहुलियत में तो बदली हीं, साथ ही गांव बव्वा भहाला के हरपाल नम्बरदार का योगदान भी सराहनीय रहा। उन्होनें अपना ट्यूबवेल दान में दे दिया। ट्यूबवेल की अपनी जमीन भी मकड़ाना को दी।
करीब 14 किलोमीटर की इस पाइप लाइन बिछाने में कई गांवों के किसानों के खेत आए लेकिन किसी ने कोई आपत्ति नहीं की। सभी ने इस कार्य में सहयोग किया। मकड़ाना के सरपंच तथा मंदिर कमेटी के खजान्ची हुकम चंद ने बताया कि गांव मकड़ाना स्थित बाबा श्याम मंदिर कमेटी के पास मंदिर के नाम से 37 एकड़ जमीन है। कमेटी इस जमीन को पट्टे पर देती है। उसी जमीन के पट्टे से एकत्रित हुए करीब 55 लाख रूपए गांव में पेयजल समस्या के समाधान के लिए खर्च किए जा चुके है।
गांव मकड़ाना के ग्रामीणों ने अपने स्तर पर पेयजल समस्या के समाधान की मुहिम यूं ही शुरू नहीं की। पेयजल समस्या से त्रस्त ग्रामीण सम्बंधित विभाग के चक्कर लगा लगाकर परेशान हो चुके थे। नीचे से लेकर ऊपर तक सभी अधिकारियों को अपनी समस्या से अवगत करवाने के बावजूद उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ। तब जाकर ग्रामीणों ने इस समस्या से निजात पाने के लिए अपने ही स्तर पर प्रयास शुरू किए। और आखिरकर ग्रामीणों की मेहनत रंग लाई और उन्हें पीने के लिए मीठा पानी भी मिलने लगा।
देवेन्द्र सांगवान
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