ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ जनजागरण अभियान के क्रम में सामाजिक संस्था 'सत्या फाउण्डेशन' द्वारा आईआईटी बीएचयू, वाराणसी के पुरातन छात्रों द्वारा संचालित 'कैटजी इंस्टीट्यूट, रमन निवास, महमूरगंज, वाराणसी' के सभागार में "हार्न के खिलाफ शपथ कार्यक्रम" आयोजित किया गया। संतुष्टि हॉस्पिटल, वाराणसी की डॉ. ऋतु गर्ग ने छात्र-छात्राओं को ध्वनि प्रदूषण से होने वाले नुकसानों और बीमारियों के बारे में समझाया। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में हार्न के खिलाफ जबरदस्त जनमत है और यह खुशी की बात है कि हिन्दुस्तान की धार्मिक राजधानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र काशी में 'सत्या फाउण्डेशन' नाम की संस्था लोगों को सफलतापूर्वक जागरूक कर रही है। उन्होंने हार्न के शोर को कई प्रकार के मानसिक व शारीरिक रोगों का प्रमुख कारक बताया। डॉ. ऋतु गर्ग ने सलाह भी दी कि इस दिशा में सिर्फ सरकार और पुलिस पर निर्भर न रहकर हर आदमी बस खुद के हार्न पर लगाम कस ले तो यह शहर तमाम बीमारियों से अपने आप मुक्त हो जाएगा। 'सत्या फाउण्डेशन' के सचिव चेतन उपाध्याय ने कहा कि सरकार, मीडिया और आम जनता की सक्रियता से लाऊडस्पीकर / डीजे के शोर में काफी कमी आयी है मगर हार्न के खिलाफ लम्बी लड़ाई, हम सबको मिलकर लड़नी है। चेतन उपाध्याय ने कहा कि नियम के मुताबिक़ अस्पताल-शिक्षण संस्थान-न्यायालय और पूजा-इबादत स्थलों के 100 मीटर की परिधि में (यानी कि शांत क्षेत्र /साइलेंस जोन में) हार्न बजाना गलत है और दोषी को जुर्माना /सजा भी हो सकती है। आईआईटी परीक्षा की तैयारी कर रहे कैटजी इंस्टीट्यूट के विद्यार्थियों को हार्न से संबंधित सभी नियमों के बारे में विस्तार से समझाया गया और 'सत्या फाउण्डेशन' के सचिव चेतन उपाध्याय ने उन्हें शपथ दिलाई कि वे किसी भी हाल में साइलेंस जोन (शांत क्षेत्र) में हार्न का इस्तेमाल नहीं करेंगे और साथ ही चौराहों के 50 मीटर के दायरे में भी हार्न नहीं बजायेंगे। रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच न तो खुद हार्न या अन्य प्रकार की ध्वनि करेंगे और न ही दूसरों को कानून तोड़ने देंगे। अगर कोई प्यार से न माने तो ध्वनि प्रदूषण की शिकायत पुलिस के टोल-फ्री 100 नंबर पर दर्ज करायेंगे। इस
अवसर पर कैटजी के संस्थापक निदेशक कृष्ण अग्रवाल, उप निदेशक अनुराग मोहन्ती, महाप्रबंधक सत्येन्द्र मिश्र आदि उपस्थित थे। |