राष्ट्रीय (04/12/2014)
कौन सुने किसानों की
बड़े आचार्य की बात है कि किसानों को यूरिया खाद नकद नही, अपितु उधार में मिलता है। किसान जगदीश, कृष्ण, गुरनाम, नफे सिंह आदि ने बताया कि जब किसान पैसे लेकर दुकानदार के पास जाता है तो दुकानदार खाद देने से साफ इंकार कर देता है। जब किसान किसी आढ़ती की पर्ची लेकर दुकान पर पहुंचता है तो दुकानदार उस पर्ची पर तुरन्त खाद दे देता है। खाद के साथ - साथ किसान को दवाई भी जबरदस्ती दी जाती है। नकद में इस लिये खाद नही दी जाती की वह किसान खाद के साथ दवाई नही लेता और दुकानदार जबरदस्ती किसान को इस लिये दवाई नही देता कि उसको डऱ लगा रहता है कि कही वह उसकी शिकायत न कर दे। पर्ची देने पर आढ़ती की जिम्मेंवारी रहती है कि वह अपने किसान को शिकायत से रोके। दुकानदार खाद के साथ दवाई इस लिये देता है कि खाद में दुकान दार को कुछ नही बचता और दवाई में उसको बहुत ज्यादा कमाई होती है। उन्होंने यह भी बताया कि नजदीकी शहर नरवाना में भी खाद की ब्लैक हो रही है। वहा पर खाद का एक कट्टा 275 की बजाये 315 का मिलता है। उधर इस बारे में जब कैथल के दुकानदार से जाना गया तो उसने भी किसानों की बात को सही ठहराते हुये नाम न छापने की शर्त पर बताया की उनको भी डिस्ट्रीब्यटर जबरदस्ती खाद के साथ दवाई देता है। वे इस बारे में कुछ नही कर सकते। उसने कहा कि यदि जिला प्रशासन अपने आप खाद का वितरण करे तो किसानों को राहत मिल सकती है। कैथल से राजकुमार अग्रवाल की रिपोर्ट |
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