नई दिल्ली, देश के सभी वर्गों के बीच समता के लिए संघर्ष किसी एक विशेष समुदाय या जाति नहीं बल्कि देश के हित में है। अनुसूचित जातियों व जन जातियों की आबादी देश की आबादी का एक चैथाई है और वैश्वीकरण व उदारीकरण ने न केवल उनको पीछे धकेला है बल्कि समाज को दो भागों में बांटने का भी काम किया है। अनुसूचित जातिध्जन जाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ की 17वीं रैली है। परिसंघ के कार्यकर्ता एवं नेता सभी दिल्ली में एकमंच पर मिलकर न केवल इस विषेश समुदायों के लाभ के लिए चर्चा करेंगे बल्कि इसके साथ.साथ सरकारी विभागों के कामकाज में कैसे सुधार हो, इस पर योजना बनाया जाएगा। आम तौर पर विभिन्न विभागों में यूनियन और कल्याण संघ सिर्फ अपनी व संबंधित संस्था की मांगों को मुखर रूप से उठाते हैं। अजा-जजा परिसंघ का दृष्टिकोण अलग क्यों इसकी वजह स्वंय इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. उदित राज हैं जो एक जिम्मेदार नौकरशाह थे। चूंकि केंद्र में सत्ता परिवर्तन हुआ हैए इसलिए इस साल परिसंघ के कार्यकर्ता एवं नेता सभी मिलकर नए व बेहद महत्वपूर्ण कार्यक्रम जैसे स्वच्छ भारत अभियान, जन-धन योजना को लेकर नए सिरे से प्रोत्साहित हैं। सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति-जन जातियों की संख्या करीब 1/5 है। अगर इस कार्यक्रम के साथ हम इस तथ्य को जोड़कर देंखे तो निश्चिय ही सरकार में काम करने की संस्कृति बदल जाएगी। अनुसूचित जाती/जन जाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ विशुद्ध रूप से एक गैर राजनीतिक संगठन है और जो भी राजनीतिक परिवर्तन हो रहा है उससे यह अब तक अछूता नहीं रहा है। हम लोग कई मोर्चों पर सरकारी मशीनरी की कार्यशैली में परिवर्तन लाने और नयी कार्यशैली के लिए मेहनत करते रहे हैं। इस रैली में भाग लेने वाले सभी कार्यकर्ता एवं नेता इस बात का मंथन करेंगे कि अनुसूचित जाति व जन जातियों का भविश्य क्या होगा. श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की योजनाओं एवं कुछ अन्य कार्यक्रमों में काम करने के लिए ये सभी काफी उत्सुक हैं। ये सभी उम्मीद कर रहे हैं कि आरक्षण अधिनियम कानून, पदोन्नति व आरक्षण, अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989ए ठेकेदारी प्रथा पर रोक जैसे मांगों पर ध्यान दिया जाएगा। 8 दिसंबर, 2014 को होने वाली परिसंघ की रैली निश्चित रूप से सरकार को इसकी मांगों की ओर ध्यान आकर्शित करेगी। |