राष्ट्रीय (29/10/2014) 
छठ के लिए घाटों पर उमड़ी भीड़
नई दिल्ली/नोएडा। देशभर में अलग-अलग स्थानों पर छठ के लिए भीड़ घाटों पर उमडऩे लगी है। जिसके चलते विभिन्न स्थानों पर बनाए गए घाटों पर सुरक्षा के लिए पुलिस को इंतजाम भी कड़े करने पड़े हैं। नोएडा में ओखला-बैराज पर घाट बनाया गया है। वहीं कई स्थानों पर कृत्रिम घाटों का निर्माण किया गया है।

इसके अलावा इंदिरापुरम से लेकर गाजियाबाद तक हिंडन नदी के किनारे कई स्थानों पर घाट बना दिए गए हैं। यहां से आने-जाने वाले ट्रैफिक को दिक्कतें न आए इसलिए रूट डायर्वट किया गया है। नोएडा और गाजियाबाद पुलिस ने कई स्थानों पर भारी संख्या में पुलिस बल लगाकर भीड़ को काबू करने योजना बनाई है।
लोक आस्था के पर्व छठ का आज तीसरा दिन है। आज के दिन छठ व्रती महिलाएं शाम के वक्त डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य देंगी। तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल शष्ठी को दिन में छठ प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, चावल का लड्डू, बनाया जाता है। इसके अलावा चढ़ावे के रूप में लाया गया सांचा और फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है।
शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रती के साथ परिवार और पड़ोस के लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट जाते हैं। सभी छठव्रती एक तय तालाब या नदी किनारे इक_ा होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं।
छठ पर्व के दूसरे दिन मंगलवार को नहाय-खाय की रस्म पूरी करने के बाद खरना हुआ। पूर्वोत्तर समाज ने शाम को विशेष पकवानों का भोग लगाकर 36 घंटे का उपवास शुरू किया। परिवार के सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना के साथ बुधवार को षष्ठी तिथि पर व्रतधारी जलाशय में खड़े होकर अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देंगे।
सूर्य आराधना के चार दिवसीय महापर्व छठ पर मंगलवार को भी दिनभर पूर्वोत्तर समाजजन के घरों में विशेष पूजा पाठ होती रही। खरना के लिए महिलाओं ने मिट्टी के चूल्हे पर पवित्रता से खीर और रोटी बनाई। खाना पकाने के दौरान पारंपरिक गीत भी गाए गए। सूर्यास्त के समय इन विशेष पकवानों का भोग लगाया गया। इसके साथ 36 घंटे का उपवास शुरू हुआ।
कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर व्रतधारी तालाब, कुंड आदि जलाशयों में खड़े होकर डूबते सूरज को अर्घ्य देंगे। शहर में बाणगंगा कुंड और विजय नगर में बड़ी संख्या में समाजजन जुटेंगे। यह व्रत गुरुवार को उगते सूरज को अघ्र्य देने के साथ पूरा होगा।

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