राष्ट्रीय (08/10/2014)
डॉ हर्षवर्धन ने किया पहली मानसिक स्वास्थ्य राष्ट्रीय नीति का वादा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने आगरा में कहा कि देश में मानसिक
बीमारियों के बोझ का कुछ अनुपात बढ़ा है। इसके चलते सरकार ने तय किया है
कि वह मानसिक स्वास्थ्य पर पहली आधिकारिक राष्ट्रीय नीति तैयार करेगी। आगरा में 155 साल पुराने मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय का दौरा करने के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वह उन घटनाओं से काफी विचलित हुए हैं जो कि मानसिक रोगियों के जीवन में घटीं। “मानसिक रोगियों के इलाज के तौर-तरीकों में काफी प्रगति हुई है और उनके ठीक होने की दर भी बढ़ी है। लेकिन दुर्भाग्य से समाज में मनोरोग संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों को कलंक के तौर पर देखा जाता है। ऐसी स्थिति में उनके इलाज में या तो देरी होती है या फिर इलाज से इंकार कर दिया जाता है। हमें इस तरह के पूर्वाग्रह को खत्म करने के लिए एक सामाजिक आंदोलन और मानसिक बीमारियों के मानवीय आयाम पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। इस दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए मंत्री ने घोषणा की है कि अब से पूरे देश में 10 अक्टूबर को राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाएगा। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “इस दिन लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाएगा। उन्हें मानसिक बीमारियों के बारे में बताकर उनकी गलत धारणाओं को खत्म किया जाएगा। हम ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना चाहते हैं जहां मानसिक रोगियों के भी मानव अधिकार हों। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक वर्ष 2020 तक भारत की 20 फीसदी जनसंख्या किसी ना किसी तरह के मानसिक रोगों से पीड़ित होगी। जबकि देश में सिर्फ 3,500 मनोरोग चिकित्सक हैं। यही वजह है कि सरकार पिछले एक दशक से इस फासले को कम करने की समस्या का सामना कर रही है। स्वास्थ्य मंत्री ने घोषणा की कि इस संबंध में एक राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति बनाई जाएगी। इसमें इस क्षेत्र से जुड़े देश के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञ शामिल होंगे। इस नीति में मेडिसिन शाखा के सभी पेचीदे मामलों को भी शामिल किया जाएगा। उन्होंने इस बात के भी संकेत दिए कि बेंगलुरू स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मेंटल हेल्थ ऐंड न्यूरोलॉजिकल साइंसेज की तर्ज पर कई और संस्थान शुरू किए जाएंगे। इस संबंध में उन्होंने कहा कि केंद्र ने आगरा चिकित्सालय के आधारभूत ढांचे व अध्यापन सुविधाओं को उन्नत करने के लिए केंद्र ने 28.8 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है। श्रमशक्ति विकास योजना के तहत अब मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा की सभी शाखाओं (साइकियाट्री, साइकाइट्री नर्सिंग, साइकाइट्री सोशल वर्क और क्लिनिकल साइकोलॉजी) में छात्रों को दाखिला दिया गया है। वार्डों का नवीनीकरण किया गया है और कई नई उन्नत तकनीक खरीदकर मुहैया कराई गई है। उन्होंने संस्थान के विकास को लगातार समर्थन देते रहने का आश्वासन दिया। डॉ हर्षवर्धन ने कहा, “मैं इस दिशा में पहला सुधारात्मक कदम उठा चुका हूं। सार्वभौमिक स्वास्थ्य आश्वासन कार्यक्रम (यूएचएएम) में मानसिक रोगों की अनदेखी नहीं की जाएगी। नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, जो राज्यों के परामर्श के बात आएगी, में भी मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। सार्वभौमिक स्वास्थ्य बीमा में वो लोग भी आएंगे जिन्हें सामान्य समस्याओं के इलाज की जरूरत है। मंत्री ने आगरा मेडिकल कॉलेज को एम्स जैसा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल बनाने के लिए एक योजना की भी घोषणा की जिसके तहत इस संस्थान को उन्नत बनाने के लिए 200 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। इसमें से 170 करोड़ रुपये केंद्र देगा और शेष राशि राज्य सरकार देगी। इस मौके पर डॉ हर्षवर्धन ने कॉलेज प्रशासन से संस्थान के परिसर को साफ-सुथरा रखने के लिए एक प्रोटोकॉल विकसित करने के लिए कहा। उन्होंने कहा, “मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कुछ दिन का श्रमदान दें जिससे कि यह ऐतिहासिक सुविधाएं साफ-सुथरी दिख सकें। |
Copyright @ 2019.