नोएडा। सेक्टर-21ए में श्री राम मित्र मंडल
द्वारा आयोजित राम लीला मंचन के छठवें दिन रावण सभा, मारीच वध, सीता हरण,
बाली वध का श्रीपरिवार रघुवंश सांस्कृतिक मंच मुरादाबाद के मूर्धन्य
कलाकारों द्वारा पंडि़त कृष्णा स्वामी के कुशल संचालन में भव्य
प्रस्तुतीकरण किया गया। प्रथम दृश्य में रावण का दरबार लगता हैं जिसमें
नृत्यंगनाये ''अभिनंदन-अभिनंदन लंकेश तुम्हारा अभिनंदन गीत प्रस्तुत कर
रावण को प्रसन्न करती है।
रावण
की बहन सूर्पणखा का प्रवेश होता है वह रावण को खर-दूषण के मारे जाने की
सूचना देती हैं और राम व लक्ष्मण द्वारा किये कृत्य से रावण को अवगत कराती
है। रावण सूर्पणखा के कटे नाक कान को देखकर क्रोधित हो उठता है। रावण सोचता
है कि खर दूषण को मारना किसी आम इंसान के बस की बात नहीं है। रावण कहता है
कि अगर राम विष्णु के अवतार है तो मेरा उद्धार हो जायेगा, अगर मनुष्य है
तो मारे जायेंगे। रावण अपने गुरू शंकर भगवान का आवह्न करता है भगवान शंकर
प्रकट होते है इसके बाद शिव तांडव होता है और रावण भी शिव के साथ तांडव
करता है। शिव से आशीर्वाद लेने के बाद बदले की नीयत से मारीच को बुलाता है।
मारीच सोने का मृग बनकर पंचवटी पहुंचता है, सीता सोने का मृग देखकर राम से
सोने का मृग लाने को कहते हैं, सीता के कहने पर राम जी स्वर्ण मृग का पीछा
करते है आगे जाकर मृग रूपी मायावी मारीच हा लक्ष्मण पुकारता है। लक्ष्मण
जी भैया को संकट में जानकर मृग का पीछा करने चले जाते है इतने में साधु का
वेश धारण कर रावण सीता से भिक्षा मांगता है। जब सीता भिक्षा देने के लिए
कुटिया से बाहर आती है तो रावण सीता जी का हरण कर लेता है। मार्ग में रावण
को पक्षी राज जटायु मिलता है जो रावण का विरोध करता है रावण जटायु के पर
काट कर उसे घायल कर देता है। राम लक्ष्मण जब पंचवटी लौटते है तब सीता को
न पाकर व्याकुल हो उठते है '' हे खग मृग हे मधुकर श्रेनी, तुम देखी सीता
मृग नैनीÓÓ सीता को खोजते हुए जटायु को घायल अवस्था में देखकर उसके इस हाल
के बारे में पूछते है। जटायु उनको बताता है कि मॉ सीता का हरण लंका का राजा
रावण कर ले गया है। राम लक्ष्मण सबरी के आश्रम पहुंचते है वह उन्हें
सुग्रीव के बारे में बताती है। हनुमान जी राम से मिलते है और पूछते है ''को
तुम श्यामल गौर शरीरा, क्षत्रिय रूप फिरे वन वीराÓÓ। हनुमान राम-लक्ष्मण
को सुग्रीव से मिलवाते है जहां सुग्रीव अपने बडे भाई बाली द्वारा किये गये
अत्याचार से भगवान राम को अवगत कराते है। राम जी युद्ध में बाली का वध कर
देते हैं। बाली कहता है हे नाथ ''मै बैरी सुग्रीव प्यारा, कारन कवन नाथ
मोही माराÓÓ। अंत में बाली भगवान के परम धाम को प्राप्त करता है। इस
अवसर पर संस्थापक अध्यक्ष बीपी अग्रवाल, मुख्य संरक्षक सूबे यादव, अध्यक्ष
डीपी गोयल, मीडिया प्रभारी राघवेन्द्र दुबे, महा सचिव मुन्ना कुमार शर्मा,
वरिष्ठ उपाध्यक्ष ओमपाल राणा, रविन्द्र चैधरी, अशोक गोयल, विपिन गोयल, संजय
गोयल, राजेन्द्र जैन, रामवीर यादव, राजेश चैहान, अशोक चौहान, राजेन्द्र
भाटी, मुकेश गुप्ता, मुकेश सिंघल, मुकेश गोयल, मोहन सिंह, देवेन्द्र अवाना,
चन्दन यादव, चैधरी जयकरण, बबलू चैहान, राजेश मिगलानी, मनोज शर्मा, संजय
शर्मा, चक्रपाणी गोयल, अनिल गोयल, सहित तमाम पदाधिकारी मौजूद रहे।
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