राष्ट्रीय (29/09/2014) 
नई दिल्‍ली में कोमागाटा मारू घटना के वर्ष भर चलने वाले शताब्‍दी महोत्‍सव का उद्घाटन
20वीं शताब्‍दी के शुरू के वर्षों में कनाडा के भेदभावपूर्ण अप्रवास कानूनों के विरुद्ध भारतीय अप्रवासियों के वीरतापूर्ण संघर्ष को श्रद्धांजलि देने के लिए भारत सरकार ने यह निर्णय लिया है कि इस घटना के 100 वर्ष पूरा होने पर कोमागाटा मारू घटना का शताब्‍दी महोत्‍सव मनाया जाए।

केन्‍द्रीय संस्‍कृति मंत्रालय ने आज एक वर्ष तक चलने वाले शताब्‍दी महोत्‍सव का उद्घाटन समारोह आयोजित किया। इस अवसर पर संस्‍कृति मंत्री श्री श्रीपद नाइक ने इस घटना के नायक बाबा गुरदीत सिंह की तीन पोतियों – सुश्री हरभजन कौर, सुश्री सतवन्‍त कौर एवं सुश्री बलबीर कौर का सम्‍मान किया। 100 रुपए एवं 5 रुपए के मूल्‍यवर्ग के सिक्‍कों का सेट यादगार के तौर पर जारी किया गया।

मंत्री महोदय ने कहा कि सरकार ने 29.09.2014 से 29.09.2015 की अवधि के दौरान आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाने के लिए राष्‍ट्रीय कार्यान्‍वयन समिति का गठन किया है। संस्‍कृति सचिव, श्री रविन्‍द्र सिंह ने अपने भाषण में कहा कि राष्‍ट्रीय कार्यान्‍वयन समिति ने कई कार्यक्रमों का ब्यौरा दिया है जिनमें राष्‍ट्रीय तथा अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन, प्रकाशन, डिजिटल अभिलेखों का विकास तथा फिल्‍में और डॉक्‍यूमेन्‍ट्री बनाना आदि शामिल हैं। उन्‍होंने कहा कि उनके मंत्रालय को व्‍यक्‍तियों से भी प्रस्‍ताव प्राप्‍त हुए हैं। ‘‘कोमागाटा मारू : संदर्भ, महत्‍व तथा विरासत’’ शीर्षक से अंतर्राष्‍ट्रीय सेमिनार आयोजित करने का भी प्रस्‍ताव किया गया है। पंजाबी विश्‍वविद्यालय, पटियाला ने ‘‘कोमागाटा मारू – 1914’’ शीर्षक से नाटक तैयार किए जाने का प्रस्‍ताव दिया है जिसे राष्‍ट्रीय कार्यान्‍वयन समिति ने मंजूर कर लिया है।

23 मई, 1914 को जापानी स्‍टीमर, कोमागाटा मारू में सवार होकर 376 यात्री हांगकांग से वेंकुवर, कनाडा पहुंचे। इनमें से अधिकतर यात्री पंजाब, ब्रिटिश भारत के अप्रवासी थे। इन्‍हें कनाडा से वापस भारत भेज दिया गया। कोमागाटा मारू सितम्‍बर, 1914 में कलकत्‍ता पहुंचा। 29 सितम्‍बर, 1914 को ब्रिटिश सरकार की पुलिस बाबा गुरदीत सिंह तथा अन्‍य नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए जहाज पर पहुंची। यात्रियों ने इसका विरोध किया तो पुलिस फायरिंग में 19 यात्री मारे गए। बाबा गुरदीत सिंह और उनके कई साथी गिरफ्तार नहीं किए जा सके। शेष यात्रियों को वापस पंजाब भेज दिया गया।
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