राष्ट्रीय (29/09/2014) 
एनडीएमए को शीघ्र ही नया रूप दिया जाएगा - राजनाथ सिंह
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि एनडीएमए और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआइडीएम) आपदा प्रबंधन, बचाव कार्रवाई और आपदा जोखिम कम करने के बारे में जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एनडीएमए को नया रूप दिया जा रहा है और शीघ्र इसे आपदा प्रबंधन की नई चुनौतियों के लिए तैयार किया जाएगा। गृह मंत्री ने कहा कि आपदाओं के दौरान संपर्क के अभाव के हाल के अनुभव के कारण राहत और बचाव कार्यों में देरी हुई। इसलिए यह आवश्यक है कि देश में प्रभावी संचार व्यवस्था हो जो आपदाओं के दौरान बाधित न हो।

श्री सिंह ने कहा कि प्रकृति सभी संसाधनों की मां है इसलिए लोगों को आपदा प्रबंधन में प्रकृति की भूमिका के बारे में जागरूक होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि हमें सतत ढंग से अपने प्राकृतिक संसाधनों को उपयोग करने में सक्षम होना चाहिए और इन प्राकृतिक संसाधनों के अति-दोहन पर लगाम कसनी चाहिए। यह अब दुनिया भर में समझा जा हा है कि सतत आपदा प्रबंधन विकास की चाबी है।

श्री सिंह ने आपदा प्रबंधन में शामिल विभिन्न एजेंसियों की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय हमारी आपदा प्रबंधन क्षमताओं को मजबूत करने के लिए एनडीआरएफ की दो नई बटालियन बनाई हैं।

गृह राज्य मंत्री श्री किरण रिजिजू ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं की चुनौतियों से निपटने के लिए हमारी तैयारी में सुधार की जरूरत है। उन्होंने जल्दी चेतावनी देने की व्यवस्था की क्षमताओं में सुधार और पर्वतीय क्षेत्रों में बाढ़ का अनुमान लगाने की व्यवस्था में सुधार पर बल दिया।

गृह सचिव श्री अनिल गोस्वामी ने देश में मौजूदा आपदा प्रबंधन व्यवस्था पर प्रकाश डाला और विभिन्न एजेंसियों की भूमिका की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 26 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन योजना तैयार कर चुके हैं।

एनडीएमए के सचिव श्री एस एन मोहंती ने स्वागत भाषण में कहा कि वर्तमान परियोजनाओं के तहत कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है और असल उपलब्धि लक्ष्य से अधिक हो चुकी है।

दो तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता उर्वरक विभाग के सचिव श्री जुगल किशोर महापात्रा ने की। इस दौरान प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. पी के मिश्र ने एनडीएमए, एनडीआरएफ और एनआइडीएम के कार्य की सराहना की।
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