राष्ट्रीय (28/09/2014) 
99 डीलरों के खिलाफ लीगल मेट्रोलोजी एक्ट 2009 एवं डिब्बाबंद बस्तु अधिनियम 2011 के तहत मुकदमा दर्ज.

दिल्ली सरकार के खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने त्योहार के मौसम के दौरान जमाखोरी, कालाबाजारी, ज्यादा कीमत वसूली और उपभोक्ताओं को धोखा देने वाले व्यापारियों के खिलाफ विशेष अभियान शुरू किया है.  इस व्यापक अभियान के लिए खाद्य आपूर्ति विभाग ने सहायक आयुक्त एवं लीगल मैट्रोलोजी अधिकारियों के नेतृत्व में 25 टीमों का गठिन किया है जो गत शुक्रवार और शनिवार को शहर के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित 180 परिसरों पर छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दिया. यह अभियान आगामी 31 अक्टूबर, 2014 तक जारी रहेगा.  यह जानकारी खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव सह आयुक्त श्री सज्जन सिंह यादव ने आज प्रदान की. उन्होंने बताया कि हर साल त्योहार के मौसम के दौरान, आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि की प्रवृत्ति देखी जाती है और कुछ व्यापारी कालाबाजारी व ज़माखोरी कर कृतिम रूप से कीमतें बढ़ाने का काम करते है. इस स्थिति से निपटने के लिए कीमतों पर एक सख्त निगरानी रखने और स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश करने वाले  असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त और प्रभावी कार्रवाई करना आवश्यक है. ताकि कोई उपभोक्ताओं से धोखा न कर सके और उन्हें वाजिब कीमतों पर आवश्यक सामग्री उपलब्ध हो सके.


श्री सज्जन सिंह यादव ने बताया कि निरीक्षण दस्ते ने विशेष रूप से दिल्ली के बाहरी क्षेत्रों में स्थित गोदामों, खाद्य तेल, दाल, चावल, आलू शीतगृह आदि विभिन्न गोदामों का दौरा किया. जिन गोदामों के निरिक्षण किया गया, उनमे खाद्य तेल के 18 गोदामों, दलहन के 35 गोदाम, 23 राइस मिल्स और आलू के 5 शीतगृह शामिल थे. खाद्य तेल, दाल, चावल और आलू का स्टॉक चेक किया गया. जमाखोरी में दोषी पाए गए व्यक्तियों के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955  के तहत अपराधिक मुकादम दायर किया जा रहा है.


श्री यादव आगे  कहा कि त्योहारी सीजन में  काफी वस्तुओं को पैक के रूप में बेचा जाता है. उपभोक्ताओं की जानकारी के लिए प्रत्येक पैकेट पर संकुल का नाम, विनिर्माण, मात्रा / पैक के अंदर उत्पादों की संख्या, उत्पाद का अधिकतम खुदरा मूल्य, हेल्पलाइन नंबर, पैक करने वाले/निर्माता का विवरण पते सहित सभी जानकारी होना आवश्यक है. कोई ओवरराइटिंग या एमआरपी और अन्य जानकारी से छेड़छाड़ की अनुमति नहीं है. लेकिन लोग अक्सर डिब्बाबंद वस्तुओं की बिक्री के दौरान विभिन्न कदाचार के बारे में शिकायत करते हैं. इसके अलावा, लीगल मेट्रोलोजी एक्ट 2009 के तहत प्रत्येक बस्तु की तौल/माप मापने वाले मापक विभाग द्वारा प्रमाणित किया हुआ होना चाहिए और इसका प्रमाण पत्र भी प्रमुखता से व्यावसायिक परिसर में प्रदर्शित किया जाना चाहिए. इस बावत निरिक्षण टीमें शहर के प्रमुख बाजारों में थोक और खुदरा परिसरो का जायजा ले रही है.

 

खाद्य आपूर्ति आयुक्त ने बताया कि निरिक्षण टीमों ने मेट्रोलोजी एक्ट के उलंघन के अपराध में51 व्यापारियों पर मुकदमा दर्ज किया है.  इनमे 41 मुकदमे गैर सत्यापित मापक इस्तेमाल के लिए, 6 मामले प्रमाण पत्र प्रस्तुत न करने के लिए जबकि 8 मुकदमा व्यावसायिक परिसर में सत्यापन प्रमाणपत्र प्रदर्शित नहीं करने के लिए दर्ज किया गया. इन के अलावा, 44 व्यापारियों पर डिब्बाबंद वस्तु अधिनियम 2011 के उल्लंघन के आरोप में मुकदमा चलाया गया.  पैकेज पर अधिकतम खुदरा मूल्य का दोषपूर्ण प्रदर्शन के लिए 21 मुकदमें, पैकेज पर निर्माण की तिथि का उल्लेख नहीं करने के लिए 13मुकदमों, और 3 मुकदमा पैकेज पर निर्माण की तिथि का उल्लेख नहीं करने के लिए भी दायर किया गया. उक्त कानून का उल्लंघन करने वालों को अदालत द्वारा सजा के तौर पर 15,000 रुपये तक जुरमाना या 6 महीने कारावास अथवा दोनों की सजा का सामना करना पड सकता है.

 

श्री यादव ने कहा कि जमाखोरी, कालाबाजारी और गैर प्रमाणित तराजू या हेरफेर / डिब्बाबंद वस्तुओं के बारे में गलत जानकारी अथवा उपभोक्ताओं को धोखा देने वाले व्यापारियों के खिलाफ छापेमारी की कार्रवाई आने वाले दिनों में भी जारी रहेगी. साथ ही उपभोक्ताओं को धोखा देने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी और इस तरह के व्यवहार में लिप्त किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा.

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