राष्ट्रीय (24/09/2014) 
एमिटी में छात्रों को मंगलयान से कराया रू-ब-रू
नोएडा। आज भारत के मंगलयान को सारा विश्व देख रहा है इस मिशन ने न केवल देश का नाम रोशन किया है बल्कि हमारे सामने अवसरों का द्वारा खोल दिया है। छात्रों को मंगलयान सहित भारतीय अंतरिक्ष अनुंसधान संगठन की जानकारी प्रदान करने हेतुु प्रख्यात अंतरिक्ष अनुसंधान कर्ता एंव वैज्ञानिक प्रो एन वेदाचलम ने आज एमिटी विष्वविद्यालय मे मंगल ग्रह कक्षीय मिशन (मार्स ऑबिटल मिशन-एमओएम) विषय पर व्याख्यान दिया।

इस अवसर पर डा अशोक कुमार चौहान, संस्थापक अध्यक्ष, एमिटी शिक्षण समूह एंव डा डब्लू सेल्वामूर्ती, अध्यक्ष, एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन ने उनका स्वागत किया। प्रख्यात अंतरिक्ष अनुसंधान कर्ता एंव वैज्ञानिक प्रो. एन वेदाचलम ने छात्रों, शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि वैज्ञानिक का कार्य छात्रों के अंदर विज्ञान का दृष्टिकोण विकसित करना है। युवा ही हमारे देश का भविष्य है इनके द्वारा किया गया शोध कार्य एंव नवोन्मेष पर ही देश  का विकास निहित है। प्रो वेदाचलम ने पृथ्वी एंव मंगल ग्रह की तुलना करते हुए बताया कि मंगल ग्रह सूर्य से चतुर्थ नंबर पर है। आरयन आक्साइड के कारण उस पर मिट्टी एंव चट्टान लाल रंग के दिखते है। पृथ्वी की तरह मंगल पर परिवर्तीत जलवायू होती है। प्रो वेदाचलम ने कहा कि मंगल ग्रह कक्षीय मिशन को पृथ्वी से 05 नंवबर 2013 को छोड़ा गया और यह आशा व्यक्त की गई है कि वो कल 24 सितंबर 2014 को मंगल ग्रह की कक्षा मे प्रवेश करेगा।  इसके उपरंात भारत, एशिया मे मंगल ग्रह पर पहुंचन वाला प्रथम देश बन जाएगा।
प्रो. वेदाचलम ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुंसधान संस्थान ने अगस्त 2010 मे मंगल ग्रह पर भारतीय सेटेलाइट भेजने का निर्णय लिया था लेकिन मात्र दो वर्ष मे एक बार ही भेजा जा सकता था क्योकी दो सालों मे एक बार मंगल ग्रह पृथ्वी के नजदीक रहता है। वैज्ञानिकों के पास मात्र 39 माह का वक्त था किंतु हमने दिन रात कार्य किया और सफल हुए। 05 नंवबर 2013 को मंगल एंव पृथ्वी के मध्य की दूरी 282ण्11 मिलियन किमी थी, 01 दिसंबर 2013 को यह दूरी 248.99 मिलियन किमी थी और मंगल की कक्षा मे प्रवेश करने के दौरान मंगल एंव पृथ्वी के मध्य की दूरी 222ण्57 मिलियन किमी रहेगी। मंगल ग्रह के वातावरण मे 95 प्रतिशत कार्बन डायआक्साइड, 2ण्7 प्रतिशत नाइट्रोजन, 0.03 प्रतिशत वाष्प और 2 प्रतिशत अन्य गैसे होती है।
डा अशोक कुमार चौहान, संस्थापक अध्यक्ष, एमिटी शिक्षण समूह ने कहा कि एमिटी के छात्रों एंव शोधार्थियों को डा. वेदाचलम से प्रेरणा लेनी चाहिए। मंगलयान मिषन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि भारतीय प्रतिभा का कोई मुकाबला नही है। डा. चौहान ने कहा कि हम शिक्षा के क्षेत्र मे अग्रणी तो है अब अंतरिक्ष शोध मे भी अग्रणी होगें।  हम इस प्रकार के व्याख्यान सत्रों छात्रों को शोध एंव नवोन्मेष के लिए प्रेरित करते है।

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