राष्ट्रीय (24/09/2014) 
कामयाबी के शिखर पर मंगलयान
बेंगलुरु। अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत ने नायाब उपलब्धि हासिल की है। पहली ही कोशिश में भारतीय अनुसंधान संस्थान (इसरो) का मार्स ऑर्बिटर मिशन यानी मंगलयान सुबह 8 बजे करीब मंगल की कक्षा में प्रवेश कर गया। पहले प्रयास में मंगल पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है।

एशिया से कोई भी देश यह सफलता हासिल नहीं कर सका है। चीन और जापान अब तक मंगल पर नहीं पहुंच पाए हैं। अमेरिका की मंगल तक पहुंचने की पहली 6 कोशिशें विफल रही थीं।
देश के वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि का गवाह बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सुबह से इसरो सेंटर में मौजूद थे। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों और देशवासियों को बधाई दी। मंगल मिशन से जुड़े हुए उन्होंने कहा, कम साधन में इतनी बड़ी सिद्धि हासिल करने वाले हमारे वैज्ञानिक अभिनंदन के अधिकारी हैं। मुझे उनका अभिनंदन करते हुए गर्व हो रहा है। उन्होंने कहा, आज मंगल का रूह्ररू (मार्श ऑर्बिटर मिशन) से मिलन हो गया। यह भारत के वैज्ञानिकों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। जब इसका नाम रूह्ररू रखा गया था, तभी समझ गया था कि मां कभी बेटे को निराश नहीं करती।
सुबह साढ़े सात बजे करीब इंजन को स्टार्ट किया गया। इसके बाद यान की स्पीड को कम करके 30 मिनट तक स्टार्ट रखा गया। इसकी स्पीड 4.3 किमी प्रति सेकंड आने पर इसे मंगल की कक्षा में स्थापित करने के लिए कमांड दिया गया। इसरो यान पर फिट रंगीन कैमरे से बुधवार दोपहर से मंगल ग्रह की तस्वीरें मिलने लगेंगी। पृथ्वी से मंगल की औसत दूरी करीब 22 करोड़ 50 लाख किलोमीटर है। इस दूरी को मंगलयान ने करीब 80 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तय किया। बाद में मंगल की कक्षा में प्रवेश कराने के लिए इसकी गति को लगातार कम किया गया।
मंगलयान के मुख्य तरल इंजन का सोमवार को सफल परीक्षण किया गया था। मंगल की कक्षा में पहुंचने से पहले इस इंजन का टेस्ट बहुत जरूरी और चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि यान का मुख्य इंजन पिछले 300 दिन (करीब 10 महीने) से स्लीप मोड में था। इसरो के मुताबिक, इंजन ने तय योजना के तहत 4 सेकंड तक ठीक काम किया था। सोमवार की सफलता के साथ ही भारत मंगल ग्रह के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में अपना उपग्रह पहुंचाने वाला एशिया का पहला देश बन गया था।
भारत का मंगल अभियान कामयाब होने के साथ ही अंतरिक्ष में उसका रुतबा काफी बढ़ गया है। जाहिर है स्पेस बिजनेस के मामले में भी भारत नई छलांग लगा सकता है। इससे उसे विदेशी सैटलाइट्स लॉन्च करने के नए ऑर्डर मिलने के पूरे आसार हैं। इस समय मंगल के राज जानने के लिए सात मिशन काम कर रहे हैं। ये सभी अमेरिकी मिशन हैं। उसका सबसे ताजा प्रयास मावेन के रूप में सामने आया है। इसके अलावा मार्स ओडिसी, मार्स एक्सप्रेस और मार्स ऑर्बिटर मंगल की परिक्रमा कर रहे हैं।

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