उत्तम नगर। पंचवटी लोकसेवा समिति (पंजीकृत) द्वारा हिन्दी पखवाड़े के समापन अवसर पर राष्ट्र-भाषा हिन्दी के संवर्द्धन में उल्लेखनीय कार्य करने वाले विद्वानों एवं सी.बी.एस.ई. की परीक्षा में 90 से अधिक प्राप्त करने वाले छात्रों को सम्मानित किया गया। मोहन गार्डन स्थित रेड रोज माडल स्कूल, मोहन गार्डन में राष्ट्रपति के भाषा सहायक रहे डॉ. परमानंद पांचाल के सान्निध्य में आयोजित इस समारोह में मुख्य अतिथि डॉ. महेश चंद शर्मा (पूर्व महापौर और दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष), विशिष्ट अतिथि चौ. ब्रह्मप्रकाश चरक आयुर्वेद संस्थान के अधिक्षक और मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल डा.एन.आर.सिंह, अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के विद्वान डॉ.विमलेश कांति वर्मा तथा डा. किशोर श्रीवास्तव(संयुक्त निदेशक समाज कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार), सेवी एवं समारोह के अध्यक्ष शिक्षाविद् श्री परमानंद अग्रवाल तथा पंचवटी लोकसेवा समिति के संरक्षक डा.अम्बरीश कुमार ने देश के विभिन्न भागों से पधारे हिंदीसेवी विद्वानों सर्वश्री डा. अ कीर्तिवर्धन (मुजफ्फरनगर), त्रिलोक सिंह ठकुरेला (आबू रोड), मेहताब आजाद (देवबंद), डा. माहे तलत सिद्दीकी (लखनऊ), डॉ. संगीता सक्सेना (जयपुर), डा. गीतांजलि गीत (छिंदवाडा), दिनेश बैंस (झांसी), सुरेन्द्र साधक (दिल्ली), प्रख्यात गजलकार अशोक वर्मा (दिल्ली), कमल मॉडल सी.सै. स्कूल, मोहन गार्डन की श्रीमती रजनी अरोडा तथा श्रीमती नीलम सहित अनेक विद्वानों को राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान प्रदान किया। सभी को शाल, स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र, सद्साहित्य एवं पुष्प गुच्छ भेंट किया गया। मेघावी छात्रों को भी स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र एवं सद्साहित्य भेंट किया गया। विदित हो कि डॉ अ कीर्तिवर्धन की अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। हाल ही में उनकी पुस्तक हिन्दू राष्ट्र भारत लोकार्पण हुआ है। बिहार से प्रकाशित बहुचर्चित पत्रिका सुरसरि ने भी कीर्तिवर्धन के हिंदी के प्रति समर्पण को देखते हुए उन पर केंद्रित सुरसरि का विशेषांक निष्णात आस्था का प्रतिस्वर डॉ अ कीर्तिवर्धन, प्रकाशित किया है। श्री महेश चंद शर्मा ने राष्ट्रभाषा हिन्दी एवं देववाणी संस्कृत के प्रति निक्रियता तथा अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार तथा आम जनता से इस ओर ध्यान देने की अपील की। डॉ.विमलेश कांति वर्मा ने हिंदी को राष्ट्र एकता की सबसे मजबूत कड़ी बताते हुए इसके अधिकाधिक प्रयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने पंचवटी लोकसेवा समिति द्वारा राष्ट्रभाषा को प्रोत्साहित करने की सराहना करते हुए सभी सम्मानित छात्रों एवं साहित्यकारों के प्रति अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की। श्री अम्बरीश कुमार ने प्रश्न प्रस्तुत किया कि क्या विदेशी भाषा के बल में भारत विश्वगुरु बनेगा? उन्होंने सभी से आत्मचिंतन करने तथा हिन्दी में ही हस्ताक्षर करने का संकल्प लेने का आह्वान किया तो समारोह में उपस्थित सैंकड़ों हिन्दी प्रेमियों ने करतल ध्वनि से उनका अनुसरण करने की पुष्टि की। डा.एन.आर.सिंह ने समाजसेवा को सर्वोपरि बताते हुए अपने बचपन के कुछ संस्मरण प्रस्तुत किए जिनसे उनकी रूचि स्वास्थ्य सेवा विशेष रूप से आयुर्वेद के प्रति बढ़ी। डा. सिंह के अनुसार हिंदी की तरह आयुर्वेद भी सारी दुनिया में अपना स्थान बना रहा है क्योंकि दोनो ही निर्दोष हैं। दोनो ही हमारे ऋ़षियों द्वारा जांचे-परखे हैं। दोनो ही भारत के पर्याय है। दुर्भाग्य की बात है कि दोनो ही अपनो द्वारा उपेक्षित रहे हैं लेकिन संतोष की बात है कि देश का प्रबुद्ध वर्ग आज फिर से हिंदी और आयुर्वेद की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहा है। इससे पूर्व कार्यक्रम का आगाज रेड रोज माडल स्कूल के छात्रों द्वारा वंदेमातरम तथा सरस्वती वंदना से हुआ। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण डा किशोर श्रीवास्तव द्वारा व्यंग्यात्मक प्रस्तुति के साथ संचालित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन रहा। अपने विशिष्ट चुटकीले अंदाज में किशोर जी ने कविता पाठ करने के लिए सर्वश्री नत्थी सिंह बघेल, डा. सीबी शर्मा, जितेन्द्र प्रीतम, जगबीर सिंह, राजेश वत्स, शैल भदावरी, इरफान राही, अमित कुमार प्रजापति, मुकेश सिन्हा, मनोज मैथिल, संदीप तोमर, मनु बेतकल्लुफ, संजय कश्यप तथा कवयत्रियों में डा. राधा गोयल, सुषमा भंडारी, प्रियंका राय, शशि श्रीवास्तव, भावना शर्मा, सरिता भाटिया को आमंत्रित किया। डॉ अ कीर्तिवर्धन की पंक्तियों राष्ट्र का सम्मान करना चाहिए, निज धरा का मान करना चाहिए। सीखिये भाषाएँ बोली सारे विश्व की, राष्ट्र भाषा पर अभिमान करना चाहिए। को भी बहुत सराहा गया। कवियों ने हिन्दी तथा हिन्दुस्तान का महिमागान करते हुए विभिन्न समसामयिक विषयों पर अपनी श्रेष्ठ रचनाएं प्रस्तुत की। इस अवसर पर अनेक सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि तथा क्षेत्र के गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे। कार्यक्रम संयोजक डा. विनोद बब्बर ने देश के विभिन्न भागों से हर कष्ट सहकर बहुत बड़ी संख्या में उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुए कहाकि वे सभी कुछ लेने नहीं बल्कि देने आए है। सभी के हृदय में इस देश के जन-जन की भाषा हिंदी के प्रति जो समर्पण है वह विश्वास दिलाता है कि हिंदी सदा फलती- फूलती रहेगी। |