राष्ट्रीय (23/09/2014) 
सरकारी अधिकारियों पर जनता आक्रामक क्यों
शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसने अपने छोटे-छोटे काम के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर न काटे हों। सूचना का अधिकार, सिटिजन चार्टर, शिकायत प्रकोष्ठ आदि का गठन होने के बाद भी आमजन को खास राहत नही है। क्योंकि इन सभी का उपयोग करने में लोग असमर्थ रहते हैं।

हाल ही में जिस तरह से बिजली विभाग के एक बाबू पर काम न होने पर एक उपभोक्ता ने तेजाब डाला, उससे साफ जाहिर होता है कि तेजाब डालने वाले पर क्या बीत रही होगी कि उसने यह कदम उठाया। सरकारी कार्यालयों में जनता के कर चुकता करने के बाद वेतन लेने वाले बाबू खुद को सेवक नहीं बल्कि राजा समझते हैं। यही कारण है कि लालफीता शाही दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
इस सब के पीछे कहीं न कहीं विभागों के विभागाध्यक्ष का भी ढीला एवं नकारात्मक रवैया दिखाई देता है। बहरहाल, कुछ भी हो सरकारी बाबुओं और अधिकारियों को भोली-भाली जनता को परेशान करना शायद अच्छा लगता है। एक के बाद एक काम को बताकर काम को टाला जाता है। ऐसे मामले ज्यादातर विद्युत विभाग, आयकर विभाग, प्रोविडेंट फंड विभाग, विणिज्य कर विभाग, सरकारी अस्पताल, परिवहन विभाग, सरकारी बैंकों आदि में आसानी से देखे जा सकते हैं। सोशल मीडिया ने भी सरकारी बाबुओं की कामचोरी उजागर करना शुरू कर दिया है। हाल ही में एक फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड की गई है जिसमें दिखाया गया है कि महिला बाबू अपने कम्प्यूटर पर पत्ती खेलने में मस्त है और बाहर कांउटर पर लंबी लाईन लगी है। कतार में खड़े लोगों को लग रहा है कि महिला बहुत व्यस्त है। यह नजारा सरकारी दफ्तरों में आम हो चला है। यही कारण है कि अब जनता सरकारी अधिकारियों के प्रति आक्रामक रूख अपनाने को मजबूर है।
 

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