राष्ट्रीय (19/09/2014) 
कैलाश यात्रा के नए मार्ग पर सीएम रावत को ऐतराज!
नई दिल्ली। देश के करोड़ों शिव भक्तों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। शिव के चरणों तक अब उसकी पहुंची सीधी और आसान हो जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा पर बेहद अहम समझौता हुआ है। वहीं इस नए रास्ते पर सीएम हरीश रावत ने नाराजगी व्यक्त की है।

सालों से इसकी मांग भारत करता आ रहा था। कई बार दोनों देशों के सरकारों के बीच इस मसले पर बातचीत हुई, लेकिन आखिरकार मोदी राज में ये सपना पूरा हुआ। अब कैलाश मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्रियों को नया रास्ता मिलेगा। चीन नए रास्ते के लिए तैयार हो गया है। अब भक्त सिक्किम के नाथुला दर्रे के आसान रास्ते से कैलाश मानसरोवर जा सकते हैं।
इसके तहत अब भारतीय श्रद्धालु तिब्बत में नाथुला दर्रे के रास्ते कैलाश पर्वत जा सकेंगे। अब तक यात्री उत्तराखंड के रास्ते जाते थे जो कि काफी मुश्किल है। इससे खासकर बूढ़े तीर्थयात्रियों को फायदा होगा। यही नहीं यह रास्ता खुलने से अब ज्यादा श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर की यात्रा कर सकेंगे। अच्छी बात यह है कि बारिश के मौसम में भी यह रास्ता खुला रहेगा। इससे पहले जुलाई में ब्राजील के फोर्तलेजा में भी मोदी ने जिनपिंग से मुलाकात के दौरान यह मुद्दा उठाया था।
अभी कैलाश मानसरोवर का जो रास्ता है वो उत्तराखंड और नेपाल होकर जाता है। इस मौजूदा रास्ते में श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतें आती हैं। बूढ़े लोग तो जा ही नहीं सकते। पुराने रास्ते के लिए दिल्ली से आप उत्तराखंड के काठगोदाम पहुंचते हैं। फिर अल्मोड़ा होते हुए बागेश्वर, दिदिहाट, धारचुला होते हुए गुंजी तक जाते हैं।

यहां से पैदल रास्ता शुरू हो जाता है जो श्रद्धालु पैदल और टट्टू से पूरा करते हैं। गुंजी से कालापानी के रास्ते नवीदांग पहुंचते हैं। फिर वहां से लिपुलेख पास होते हुए ताकलाकोट, ताकलाकोट से मानसरोवर। और फिर वहां से पारखा होते हुए दारचेन और फिर कैलाश पर्वत।
मौजूदा रास्ते में 19,500 फुट की चढ़ाई शामिल है। 22 से 27 दिन की यह यात्रा दुनिया की सबसे मुश्किल धार्मिक यात्रा मानी जाती है। इस यात्रा में हर साल 18 बैच में एक हजार से ज्यादा तीर्थयात्री शामिल होते हैं। यह यात्रा लिपू दर्रा, हिमालयन दर्रा और उत्तराखंड के कुमाऊं से होकर तिब्बत के टकलाकोट से गुजरती है।
पिछले साल जून में उत्तराखंड की बाढ़ में यह रास्ता बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। अब चीन सिक्किम में नाथू ला दर्रे को खोल देता है तो इससे भारतीय तीर्थयात्री बसों और गाडिय़ों से सीधे कैलाश और मानसरोवर जा सकेंगे। नया रास्ता बनने पर सिक्किम के नाथुला दर्रे से होता हुए आप चीन में आते हैं। और फिर शानदार सड़क आपको सीधे पहुंचा देगी सागा होते हुए दारचेन तक। यानि मानसरोवर और कैलाश पर्वत जहां पहुंचने में पहले आपको नाको चने चबाने पड़ते थे। करीब एक महीने की यात्रा होती थी। वह महज हफ्ते भर में खत्म हो जाएगी। पैदल चढ़ाई से भी आप बच जाएंगे।
लेकिन इस नए रास्ते से उत्तराखंड के लोग जाहिर हैं खुश नहीं। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नए रास्ते पर कड़ा ऐतराज जताया है। हरीश रावत का कहना है कि नया रास्ता धार्मिक ग्रन्थों के हिसाब से नहीं है। इस मार्ग की कोई धार्मिक मान्यता नहीं है। कैलाश मानसरोवर के लिए वैकल्पिक मार्ग देश हित व धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है
 

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