राष्ट्रीय (02/09/2014)
मेरठमें संसà¥à¤•ृत सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® संपनà¥à¤¨

देववाणी संसà¥à¤•ृत वैदिक विचारधाराओं को अपने में धारण करती हà¥à¤ˆ à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ पतितपावनी गंगा है, जिसमें अवगाहन कर जन-जन का तन-मन पावन हो जाता है। इस अवसर पर पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ सà¤à¤¾ में ककà¥à¤·à¤¾ दसवीं के छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤®à¤§à¥à¤° सà¥à¤µà¤° में गाठगठवैदिक मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ से संपूरà¥à¤£ वातावरण मà¥à¤–रित हो उठा। पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ ककà¥à¤·à¤¾ आठऔर नौ के छातà¥à¤°à¥‹à¤‚- à¤à¤œà¤¾à¤œ, चिराग महाजन, साकà¥à¤·à¥€, समरà¥à¤¥, पारà¥à¤², अंकà¥à¤·, मानसी आदि के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संसà¥à¤•ृत के षà¥à¤²à¥‹à¤•ों की अरà¥à¤¥ सहित सचितà¥à¤° वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ की गई। ककà¥à¤·à¤¾ नौ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ ने ‘संघे षकà¥à¤¤à¤¿à¤ƒ कलौयà¥à¤—े’ विशय पर अपने विचार वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ किà¤à¥¤ ककà¥à¤·à¤¾ छ की जूही ने संसà¥à¤•ृत à¤à¤¾à¤¶à¤¾ का परिचय देते हà¥à¤ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में उसकी उपयोगिता का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ किया। पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯à¤¾ ने संसà¥à¤•ृत सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ पर छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ का उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤µà¤°à¥à¤§à¤¨ करते हà¥à¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤—ी छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤·à¤¸à¥à¤¤à¤¿ पतà¥à¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किà¤à¥¤ छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ ने इस अवसर पर दैनिक जीवन में संसà¥à¤•ृत à¤à¤¾à¤¶à¤¾ को अपनाने का संकलà¥à¤ª लिया। |
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