राष्ट्रीय (13/07/2014)
और इस तरह चल पड़ी रिशà¥à¤µà¤¤ लेने की परंपरा

पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ जमाने में à¤à¤• राजा था। उसके राजà¥à¤¯ में तरह तरह का à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° चलता था। राजा का à¤à¤• चिर परिचित घनिषà¥à¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ आया और बोला-हà¥à¤œà¥‚र आपके राजà¥à¤¯ में सà¤à¥€ गंगा नहा रहे हैं, बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं। हमें à¤à¥€ बहती गंगा में हाथ धोने का अवसवर दें। सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ दें। हमें à¤à¥€ नहाने का शà¥à¤ अवसर दिया जावे। राजा ने कहा-बहती गंगा में हाथ धो लो, कोई à¤à¤¸à¤¾ काम खोल लो जिससे दो पैसे की आमदनी तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥€ हो जाये, दो पैसे की हमें à¤à¥€à¥¤ बात आई गई हो गई। वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ चतà¥à¤° था। उसने आने वाले वाली गाडि़यों पर टैकà¥à¤¸ लगाया। ससà¥à¤¤à¤¾à¤ˆ का जमाना था। टैकà¥à¤¸ à¤à¤• पैसे था। लोग चà¥à¤ªà¤šà¤¾à¤ª देने लगे। उसने धीरे से टैकà¥à¤¸ दो पैसे कर दिया। लोग देते रहे। टैकà¥à¤¸ चार आने कर दिया। अब लोग चिलà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ लगे। उसने होशियारी की। उसने बाकायदा चार आने की रसीद काटना शà¥à¤°à¥‚ कर दी। दो आने वह रखता और दो आने राजखजाने में जमा कर आता। फिर उसने टैकà¥à¤¸ की राशि आठआने कर दी। अब हो हलà¥à¤²à¤¾ मच गया। उसे पकड़कर राजा के दरबार में ले जाया गया। वहां उसने सबूत में सारे रसीद कटà¥à¤Ÿà¥‡ पेश कर दिये जिसमें बड़े ही ईमानदारी से आधा टैकà¥à¤¸ à¤à¤°à¤¾ जाता था। आधा वह खा जाता था, पूरा हिसाब लिखा था। उसमें जरा सी गड़बड़ी à¤à¥€ नहीं पाई गई। राजा उसकी ईमानदारी से खà¥à¤¶ हà¥à¤† परनà¥à¤¤à¥ उसने पूछा कि यह टैकà¥à¤¸ हमने लगाया नहीं, फिर à¤à¥€ आमदनी राजखजाने से कैसे जमा होती रही। तब तक वितà¥à¤¤ मंतà¥à¤°à¤¾à¥€ में उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का संपरà¥à¤• हो गया था। वितà¥à¤¤ मंतà¥à¤°à¥€ ने समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ हà¥à¤œà¥‚र आदिकाल से राजखजानों में à¤à¤¸à¤¾ पैसा आता जाता रहता है जिसकी सà¥à¤µà¤¯à¤‚ राजा को खबर नहीं होती। राजा मान गया और कर जारी रखने का उसने आदेश दिया। तब से आर.टी.ओ. पà¥à¤°à¤¥à¤¾ का जनà¥à¤® हà¥à¤† आधà¥à¤¨à¤¿à¤• समय में इसे आर याने रिशà¥à¤µà¤¤ टी याने टेक या लो और ओ यानी ओके कर दो, कहा जाता है। आज à¤à¥€ आर.टी. ओ. में रिशà¥à¤µà¤¤ लेते ही गलत से गलत काम सही करने की पà¥à¤°à¤¥à¤¾ चली आ रही है। ï€ à¤²à¤²à¤¿à¤¤ नारायण उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ (अदिति) |
Copyright @ 2019.