राजधानी
दिल्ली को देश का पहला किरोसिन मुक्त शहर बनने का गौरव हासिल हुआ है. दिल्ली में केरोसिन
मुक्त शहर योजना की शुरुआत पेट्रोलियम व नेचुरल गैस मंत्रालय, भारत सरकार और तीन
प्रमुख आयल कंपनियों के सहयोग से वर्ष 2012-13 में की गयी और दिल्ली सरकार ने इस
योज़ना पर एक मुस्त 62 करोड़ की धन राशी खर्च कर 2 लाख परिवारों को मुफ्त एलपीजी
सिलेण्डर, रेग्युलेटर, गैस स्टोव, सुरक्षा ट्यूब और
एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराया है. यह जानकारी खाद्य आपूर्ति विभाग के आयुक्त श्री
सज्जन सिंह यादव ने प्रदान की.
श्री सज्जन सिंह यादव ने बताया कि दिल्ली को केरोसिन मुक्त बनाने के लिए खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा गंभीर व सार्थक पहल की गई. जिसके तहत राजधानी के अन्त्योदय आनन योज़ना (ए.ए.वाई.), बी.पी.एल. और जे.आर.सी. कार्डधारकों के लिए सुविधाजनक और धुआं रहित कूकिंग के नए युग की शुरूआत की गयी है. उन्होंने आगे बताया कि केरोसिन मुक्त योज़ना के तहत विभाग को कुल 2,14,149 आवेदन मुफ्त गैस कनेक्सन के लिए प्राप्त हुए थे, जिनमे से 20,732 आवेदनों को जांच के बाद अवैध करार दिया गया और लगभग दो लाख जरूरतमंद और योग्य परिवारों को इस योजना का लाभ प्रदान किया गया. आवेदनों के जांच के दौरान यह पाया गया कि कई ए.ए.वाई., बी.पी.एल. और जे.आर.सी. परिवारों के पास पहले से ही रसोई गैस कनेक्सन मौजूद है. इसलिए इस योजना का लाभ सिर्फ उन परिवारों को दिया गया, जिनके पास रसोई गैस का कनेक्सन नही था. श्री यादव ने बताया कि केरोसिन मुक्त शहर बनने से पूर्व राजधानी दिल्ली में प्रति वर्ष 53,000 किलो लीटर केरोसिन का इस्तेमाल रसोई के लिए किया जाता था, जिसे भारत सरकार द्वारा बेहत सस्ते दर पर उपलब्ध कराया जाता था. गौरतलब है कि यह केरोसिन सरकार द्वारा जरूरतमंद परिवारों को मात्र 12.50 रु. प्रति लीटर की दर से उपलब्ध कराया जाता था, जिसपर प्रति लीटर 15 रु. की सब्सिडी भारत सरकार प्रदान किया जाता था और हर वर्ष लगभग 200 करोड़ की धन राशी सब्सिडी के तौर पर खर्च की जाती थी. इस प्रकार इस योजना को सफलता पुर्बक लागू कर के सरकार ने उल्लेखनीय काम किया है और प्रति वर्ष खर्च होने वाले सब्सिडी की 200 करोड़ की धनराशी का बचत भी किया है. उन्होंने आगे कहा कि पहले ये सभी लाभान्वित अपने परिवार में भोजन पकाने के लिए मिट्टी का तेल इस्तेमाल करते थे और मिटटी के तेल हासिल करने में दिक्कतों का सामना कर रहे थे. उन्हें बार-बार मिट्टी के तेल के विक्रेता के पास केरोसिन लेने के लिए चक्कर काटने पड़ते थे. कई बार उन्हें खुले बाजार में बेहद ज्यादा दाम पर अपनी जरूरत का मिट्टी का तेल खरीदने को मजबूर होना पड़ता था. इसके अलावा मिट्टी के तेल के स्टोव से खाना बनाने से महिलाओं की आंखों और फेफड़ों को नुकसान पहुंच रहा था. सरकार ने इन सभी दिक्कतों पर काबू पाने और रसोई में काम करने वाली महिलाओं के लिए स्वच्छ इंधन और स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित करने के लिए इस महत्वाकांक्षी योजना को लागू किया. केरोसिन मुक्क्त शहर योजना दिल्ली सरकार का एक अनूठा प्रयास है, जिससे न केवल सार्वजनिक वितरण प्रणाली के मिट्टी के तेल को बाहर बेचने पर भी काबू पाया जा सका है बल्कि राजधानी दिल्ली के पर्यावरण/वातावरण को भी स्वच्छ बनाने में मदद मिल रही है. दिल्ली सरकार द्वारा लाभार्थियों को एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध करा दिए जाने के उपरांत दिल्ली के ये परिवार आधुनिक, सुविधाजनक और नुकसान रहित ईंधन से खाना पका रहें है, इससे इन परिवारों को जीवन स्तर भी बढ़ा है. श्री सज्जन सिंह यादव ने बताया कि जन वितरण प्रणाली के तहत पूर्व में राजधानी दिल्ली में ब्लू रंग के केरोसिन आयल की बिक्री की जाती थी, जिसके बिक्री व इस्तेमाल पर अब पूरी तरह से प्रतिबन्ध है. अगर कोई ब्यक्ति इस केरोसिन के बिक्री के कार्य में संलिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ इसेंसियल कमोडिटी एक्ट 1955 और दिल्ली केरोसिन आयल कण्ट्रोल एक्ट 1962 के तहत सख्त कार्यवाही की जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार केरोसिन के अबैध विक्री को लेकर काफी सख्त है और केरोसिन के बिक्री से सम्बंधित किसी भी शिकायत को राशन हेल्पलाइन न. 1967 पर दर्ज कराया जा सकता है अथवा विभाग को पत्र लिखा जा सकता है. हालांकि सफ़ेद रंग का बिना सब्सिडी वाला केरोसिन आयल, जिसका इस्तेमाल निगम द्वारा फोगिंग के लिए किया जाता है आयल कंपनियों के आउटलेट पर उपलब्ध है. |