मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि सरकार प्रदेश के ऐतिहासिक मन्दिरों के जीर्णोद्धार एवं समुचित रख-रखाव के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। मन्दिरों को प्रदान की जाने वाली अनुदान राशि को बढ़ाया गया है तथा प्राचीन मन्दिरों की पहाड़ी वास्तु एवं स्थापत्य कला के जीर्णोद्धार के लिए समुचित धनराशि उपलब्ध करवाई जा रही है। मुख्यमंत्री आज शिमला जिले के रोहड़ू उप-मंडल के अंतर्गत टिक्कर उप-तहील के नरैण गांव में देवता नरैण मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा और पूर्ण आहुति के अवसर पर पूजा-अर्चना करने के उपरान्त संबोधित कर रहे थे। श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में अनेक प्राचीन मंदिर हैं जिनका ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व है। इन मंदिरों का निर्माण विशेष शैली और वास्तुकला से किया गया है और सरकार प्रयासरत है कि प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं परम्पराओं को अक्षुण्ण रखा जाए जिनके कारण समूचे विश्व में हमारी विशिष्ट पहचान है। उल्लेखनीय है कि श्री नरैण देवता मंदिर के पुनर्निर्माण का कार्य वर्ष 2007 में आरंभ किया गया था और इस कार्य में 50 कारीगरों ने अपना योगदान दिया। पुरानी काष्ठ शैली के आधार पर निर्मित इस मंदिर का निर्माण लगभग तीन करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया है। मुख्य संसदीय सचिव श्री रोहित ठाकुर, स्थानीय विधायक श्री मोहन लाल ब्राक्टा, पूर्व सांसद श्रीमती प्रतिभा सिंह, पूर्व मंत्री श्री नरेंद्र बरागटा, शिमला जि़ला ग्रामीण कांग्रेस के अध्यक्ष श्री केहर सिंह खाची, हिमुडा के उपाध्यक्ष श्री यशवंत छाजटा, प्रदेश पथ परिवहन निगम के उपाध्यक्ष श्री हरीश जनारथा, शिमला-किन्नौर एपीएमसी के अध्यक्ष श्री महेंद्र स्तान, रोहड़ू कांग्रेस खंड के अध्यक्ष श्री ईश्वर दास छौहारू, पूर्व विधायक श्री खुशीराम बालनाटाह, उपायुक्त श्री दिनेश मल्होत्रा, मुख्यमंत्री के ओ.एस.डी श्री टी.सी जनारथा, स्कूली शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष श्री बलबीर तेगटा, भाषा एवं संस्कृति विभाग के निदेशक श्री अरुण शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी और भारी संख्या में क्षेत्र के लोग इस अवसर पर उपस्थित थे। |