राष्ट्रीय (18/12/2013) 
महिला खिलाड़ियों के साथ यौन उत्पीड़न

युवा मामले एवं खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अतीत में विभिन्न खेल संस्थाओं में महिला खिलाड़ियों के साथ यौन उत्पीड़न के कुछ मामले सरकार के सामने आए। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से संबंधित एनएसएफ से रिपोर्ट प्राप्त करने और एनएसएफ को उचित सलाह देने सहित उनमें से कुछ शिकायतों पर कार्रवाई की गई। हालांकि उनका राज्यवार आंकड़ा नहीं रखा गया।

राज्यसभा में आज एक लिखित उत्तर में श्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि खेल संस्थाओं में पारदर्शिता और सुशासन लाने के लिए सरकार ने दिशा निर्देश जारी किए हैं, जिनमें अन्य बातों के अलावा खेलों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम शामिल है। ये दिशा निर्देश भारतीय राष्ट्रीय खेल विकास संहिता, 2011 (एनएसडीसीआई) में हैं जो 31 जनवरी, 2011 से प्रभावी हैं। इन निर्देशों के अधीन राष्ट्रीय खेल संघों (एनएसएफ) को निम्नलिखित कदम उठाने होंगे-    (I) यौन उत्पीड़न निषेध को अधिसूचित, प्रकाशित और प्रसारित करते हुए समुचित तरीके से अभिव्यक्त करें।   (II) अपने नियमों और कानूनों में यौन उत्पीड़न निषेध के नियमों/कानूनों को शामिल करें और ऐसे नियमों में उनका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उचित दंड का प्रावधान करें। (III)  कार्य, विश्राम, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के बारे में उचित परिस्थितियां उपलब्ध कराएं ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि महिलाओं के विरुद्ध कोई शत्रुतापूर्ण वातावरण नहीं हो और किसी भी महिला कर्मचारी के पास यह मानने का उचित आधार न हो कि अपने करियर में वह नुकसान की स्थिति में है।

(IV) महिलाओं को यौन उत्पीड़न के मामले उचित मंच पर उठाने की इजाजत हो और उनपर सकारात्मक चर्चा होनी चाहिए।    (V) शिकायत तंत्र- एनएसएफ को पीड़िता की शिकायत के निपटारे के लिए शिकायत तंत्र का गठन करना चाहिए। यह शिकायत तंत्र, शिकायत का समयबद्ध निपटारा सुनिश्चित करे।

(VI) अनुशासनात्मक कार्रवाई- जब कोई आचरण दुराचरण के दायरे में हो तो नियमानुसार उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए।

(VII) आपराधिक प्रक्रियाएं- जहां कोई आचरण भारतीय दंड संहिता अथवा किसी अन्य कानून के अधीन अपराध के दायरे में है, एनएसएफ को उचित प्राधिकरण के पास शिकायत दर्ज कराते हुए कानून के अनुसार उचित कार्रवाई शुरू करनी चाहिए। विशेष रूप से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शिकायत पर सुनवाई के दौरान पीड़ितों अथवा गवाहों को परेशान न किया जाए या उनके साथ किसी तरह का भेदभाव न हो।

(VIII)  शिकायत समिति- शिकायत समिति की अध्यक्षता महिला द्वारा की जानी चाहिए और इसके कम से कम आधे सदस्य महिला होने चाहिए। इसके अलावा इसमें किसी तीसरे पक्ष या तो गैर सरकारी संगठन अथवा महिला उत्पीड़न के मामले से अवगत किसी अन्य संस्था को शामिल करना चाहिए। 

(IX) जागरूकता- महिला कर्मचारियों को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक बनाना चाहिए।   (X) तीसरे पक्ष का उत्पीड़न- जहां यौन उत्पीड़न किसी बाहरी अथवा तीसरे पक्ष द्वारा किया जाए तो एनएसएफ को हर संभव जरूरी कदम उठाने चाहिए और पीड़ित पक्ष को सहायता देनी चाहिए।


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