
13 दिसम्बर
को संसद हमले की 12वीं बरसी है उससे एक दिन पहले ऑल इंडिया एंटी टैररिस्ट्
फ्रंट के चेयरमैन एमएस बिट्टा सोनीपत के राठधना गांव पहुंचे। यहां पहुंचकर उन्होने
दिल्ली पुलिस के एएसआई शहीद नानकचंद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हे श्रद्धांजलि
दी। एमएस बिट्टा ने जमकर सरकार पर निशाना साधा उन्होने कहा कि सरकार एक दिन शहीदों
को याद कर सिर्फ दिखावा करते है। यहां तक कि संसद हमले के शहीदों के लिए कोई स्मारक
भी नहीं बनाया गया है। बिट्टा कल संसद हमले में शहीदों के परिजनों के साथ शहीद स्मारक
के लिए जगह दिये जाने की मांग उठायेंगे। नानक चंद के परिजनों ने भी सरकार पर शहीदों
की अनदेखी का आरोप लगाया है।
सरकार हर साल 13 दिसम्बर को संसद हमले के शहीदों को संसद भवन में श्रद्धांजलि देती है। इस दिन शहीदों के परिवार,सांसद और विधायक संसद भवन पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि देती है। लेकिन आज तक शहीदों की याद में कोई स्मारक नहीं बनाया गया है। ऑल इंडिया एंटी टैररिस्ट् फ्रंट के चेयरमैन एमएस बिट्टा ने राठधना गांव में शहीद नानकचंद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हे श्रद्धांजलि दी। बिट्टा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सभी पार्टियों के नेता 13 दिसम्बर को संसद हमले के शहीदों को याद कर दिखावा करते है। बिट्टा कल संसद हमले के शहीदों के परिजनों के साथ पहुंचकर शहीदों के स्मारक के लिए संसद के बाहर स्थान देने की मांग करेंगे ताकि आम जनता भी शहीदों के स्मारक स्थल पर जा सके। वही नानकचंद की पत्नी गंगादेवी ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया है उन्होने कहा कि जब उनके पति शहीद हुए थे उस समय सरकार ने बहुत दावे किये है। लेकिन शहीदों के सम्मान के लिए कोई खास कदम नहीं उठाये। नानकचंद का जन्म 1954 में सोनीपत के राठधना गांव में हुआ था। देश सेवा और पुलिस में भर्ती होने की प्ररेणा उन्हे अपने पिता मांगे राम से मिली थी जो दिल्ली पुलिस में हवलदार थे। नानकचंद नवम्बर 1971 में दिल्ली पुलिस में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे। दिसम्बर 2001 में नानकचंद दिल्ली पुलिस के एएसआई थे और संसद की सिक्योरिटी में उनकी तैनाती थी। 13 दिसम्बर 2001 को पांच आंतकवादी हथियारों से लैस होकर संसद में घुस गये और ताबडतोड गोलियां चलानी शुरू कर दी। आंतकवादियों का सामना करते हुए नानकचंद और उनके पांच साथी शहीद हो गये। इस हमले में एक सिक्योरिटी गार्ड समेत पांच पुलिस कर्मी शहीद हुए और वहीं पर काम कर रहा एक माली भी हमले में मारा गया और 18 लोग घायल हुए। देष के इन वीरों ने एक भी आंतकवादी को अंदर नहीं जाने दिया और उन्हे मार गिराया था। |