राष्ट्रीय (26/11/2013) 
ऐलो फीवर’ जीवन रक्षक दवाओं का निर्माण
सोलन जिला के ऐतिहासिक और प्रसिद्व पर्यटन स्थल कसौली में स्थित भारतीय अनुसंधान संस्थान एशिया का एकमात्र ऐसा संस्थान है जहां पर ‘ऐलो फीवर’ जीवन रक्षक दवाओं का निर्माण किया जा रहा है। एक सौ साल से अधिक पुराने इस संस्थान को न केवल भारतवर्ष में बल्कि विश्व में सर्वोत्तम संस्थान बनाने की दिशा में प्रयास जारी हैं। यह बात केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री संतोष चौधरी ने आज इस संस्थान के व्यापक निरीक्षण के बाद इसमें कार्यरत वैज्ञानिकों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।
चौधरी ने संस्थान के शोधकर्ताओं से कहा कि इस केन्द्र में अगले दो माह के भीतर जीवन रक्षक दवाओं के कमर्शियल बैच तैयार करें। इन दवाईयों की भारतवर्ष के अलावा बाहरी देशों में भी भारी मांग है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का यह पुराना और ऐतिहासिक संस्थान है और इसकी गरिमा को बनाए रखने के लिये सरकार कृतसंकल्प है और संस्थान को और आगे ले जाने के लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने हिदायत दी कि संस्थान में यलो फीवर वैक्सीन तैयार करने वाली मशीन के उपकरण को जल्द ठीक करवाया जाये ताकि वैक्सीन का उत्पादन जल्द से शुरू हो। ........
श्रीमती चौधरी ने संस्थान के चिकित्सकों से कहा कि जीवन रक्षक दवाओं का उत्पादन बढाने के प्रयास करें ताकि संस्थान से यह दवाईयां बाहरी देशों को भी निर्यात की जा सके। उन्होंने बताया कि संस्थान में वर्ष 2012-13 के दौरान 1.38 करोड डीटीपी की सप्लाई की गई, एक करोड 78 लाख टीटी टीके व 1.29 लाख यलो फीवर वैक्सीन की सप्लाई देश के विभिन्न भागों में की गई। उन्होंने संस्थान के निदेशक को सीआरआई में उपकरणों की मांग व रिक्त पदों व अन्य वित सम्बन्धी मामलों का पूरा ब्यौरा तैयार करके 15 दिन के भीतर मंत्रालय को निजी तौर पर प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।
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