राष्ट्रीय (30/06/2013) 
आईजीएमसी को एम्स की तर्ज पर स्तरोन्नत किया जाएगा-HP
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री  कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि शिमला स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान महाविद्यालय (आईजीएमसी) को प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सेवा योजना के अन्तर्गत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान (एम्स) की तर्ज पर स्तरोन्नत किया जाएगा।  कौल सिंह ठाकुर आज यहां आईजीएमसी शिमला के गेस्ट्रोएंटिरोलोजी विभाग द्वारा ‘निरंतर चिकित्सा शिक्षा’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। इस सम्मेलन में एम्स नई दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़, हिन्दू राव अस्पताल तथा अपोलो अस्पताल दिल्ली, जी.बी. पंत अस्पताल नई दिल्ली, एसजीपीसी लखनऊ के चिकित्सकों सहित संयुक्त राज्य अमेरिका के टेक्सस की चिकित्सक डाॅ. मंजू  गौतम भाग ले रही हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद से भेंट की थी और आईजीएमसी को स्तरोन्नत करने का प्रस्ताव भारत सरकार के विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आईजीएमसी शिमला को प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में विकसित करने के लिए प्रयासरत है ताकि प्रदेश के लोगों को गुणात्मक एवं बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मिल सकें। उन्होंने चिकित्सकों को आह्वान किया कि वे लोगों के साथ करूणापूर्वक पेश आएं और दिखावे से बचें। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को अनैतिक कार्यों के भंवर में फंसने से बचना चाहिए। 
कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में नित नये बदलाव हो रहे हैं और अब यह चिकित्सकों तथा विशेषज्ञ चिकित्सकों के लिए अनिवार्य बन गया है कि वे क्षेत्र मंे आ रही नई तकनीक को अपनाएं। पिछले कुछ वर्षों में गेस्ट्रोइंटेस्टाईनल बीमारियों जैसे पैप्टिक अल्सर, जीआई-ट्रेक का कैंसर, गाल स्टोन और हैपेटाईटस इत्यादि के निदान एवं चिकित्सा में नई तकनीक के माध्यम से कई बदलाव आए हैं। तकनीक ने इस सम्बन्ध में आम आदमी को भी काफी शिक्षित किया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि गेस्ट्रो-इंटिरोलोजी विशेषज्ञ क्षेत्र है और आईजीएमसी शिमला में इस विभाग की स्थापना के अतिरिक्त राज्य सरकार कांगड़ा के डा. राजेन्द्र प्रसाद, राजकीय मेडिकल काॅलेज टांडा में ऐसे सुपर स्पैशिएलिटी परिसर विकसित कर रही है ताकि रोगियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। प्रदेश सरकार टांडा मेडिकल काॅलेज को सुदृढ़ करने के लिए प्रयासरत है तथा यहां बच्चों तथा युवाओं को सम्बन्धित विभाग में विशेष सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013-2014 के प्रदेश सरकार के बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए
11.06 प्रतिशत की वृद्धि की गई है और स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 1187 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाए गए हैं। डा. राजेन्द्र प्रसाद मेडिकल काॅलेज टांडा में सुपर स्पैशिएलिटी बहुउददेश्यीय परिसर तथा अस्पताल विकसित करने के लिए 150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
हिमाचल प्रदेश में बड़ी स्वास्थ्य अधोसंरचना उपलब्ध है जो कि राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। प्रदेश के स्वास्थ्य मानक देश में सर्वश्रेष्ठ मानकों में से एक हैं। राज्य सरकार वर्तमान में प्रदेश में सैकेंडरी तथा टरशियरी स्वास्थ्य देखभाल को सुदृढ़ करने पर ध्यान केन्द्रित कर रही है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सम्मेलन में होने वाला विचार विमर्श तथा प्रस्तुतिकरण चिकित्सा क्षेत्र में रोज+ सामने आ रही चुनौतियों से निपटपने में कारगर सिद्ध होगा। उन्होंने चिकित्सकों से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने के लिए तैयार रहने को कहा ताकि ग्रामीण जनसंख्या को गुणात्मक एवं बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो सकें। उन्हांेने इस अवसर पर देश के विभिन्न भागों से सम्मेलन में भाग लेने आए विशिष्ट मेहमानों को सम्मानित भी किया। इनमें आईजीएमसी शिमला के सेवानिवृत चिकित्सक भी शामिल हैं। उन्होंने विशिष्ट विभूतियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए।
निदेशक चिकित्सा शिक्षा डाॅ. जयश्री शर्मा तथा आईजीएमसी के प्रधानाचार्य डाॅ. एस.एस. कौशल ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए।
इससे पूर्व, आईजीएमसी के गेस्टीरो-एंटिरोलोजी विभाग के प्रमुख डाॅ. ब्रिज शर्मा ने स्वास्थ्य मंत्री का स्वागत किया और विभाग की कार्यप्रणाली की विस्तृत जानकारी प्रदान की।
सहायक प्रो. डाॅ. राजेश शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
पीजीआई चंडीगढ़ के निदेशक डाॅ. वाई.पी. चावला, निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं हिमाचल प्रदेश डा. कुलभूषण सूद और अन्य चिकित्सक भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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