राष्ट्रीय (30/06/2013) 
विदेशी कम्पनियों को छूट देना नाजायज,कैट द्वारा इसके खिलाफ राष्ट्रव्यापी आन्दोलन की चेतावनी
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा और विदेशी रिटेलरों एवं भारतीय कॉर्पोरेट सेक्टर के साथ कल नई दिल्ली में हुई बैठक में रिटेल व्यापार में ऍफ़ डी आई को अनुमति देने के सम्बन्ध में शर्तों को आसान करने के शर्मा के आशवासन पर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की देश हित को एक तरफ रख विदेशी रिटेलरों को अधिकतम लाभ देना तथा एक तरह से फेल हो गए  भारतीय कॉर्पोरेट रिटेलर जो भारी नुकसान में है, को नुकसान से उबारने की एक कोशिश भी है !कैट के राष्ट्रीय महामंत्री  प्रवीन खंडेलवाल ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की यदि सरकार ने विदेशी कम्पनियों को कोई भी राहत देने की कोशिश की तो कैट को मजबूर होकर देशव्यापी प्रचंड आन्दोलन छेड़ना पड़ेगा जिसके लिए सरकार स्वयं जिम्मेदार होगी ! उन्होंने ने बताया की इस मुद्दे सहित व्यापारियों से जुड़े अन्य मुद्दों एवं आगामी लोकसभा चुनावों में व्यापारियों की भूमिका को लेकर कैट की कोर कमेटी की एक महतवपूर्ण बैठक आगामी 3 जुलाई को नागपुर में हो रही है !
 
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष  बी.सी.भर्तिया ने इस मुद्दे को देश की अर्तव्यवस्था के लिए बेहद गंभीर बताते हुए कहा की वर्तमान केंद्रीय सरकार की ढूल मूल आर्थिक नीतियों के कारण देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गयी है और बेहद संक्रमण दौर से गुजर रही है जिसके कारण अर्थव्यवस्था से जुड़े सभी क्षेत्रों की दुर्गति हो रही है !
 
भर्तिया एवं श्री खंडेलवाल ने  रिटेल व्यापार में ऍफ़ डी आई की वर्तमान अधिसूचना को वापिस लेने की अपनी मांग को दोहराते हुए कहा की बेहद अफ़सोस की बात है की केंद्रीय वाणिज्य मंत्री के पास विदेशी कम्पनियों और बड़े कॉर्पोरेट घरानों से मिलने के लिए तो काफी समय है किन्तु छोटे व्यापारियों से इस मुद्दे पर बात करने के लिए कोई वक्त नहीं है और इसीलिए देश की अर्थव्यवस्था की रीड की हड्डी कहे जाने वाले व्यापारी वर्ग से सरकार द्वारा आज तक इस मामले में कोई सलाह मशविरा तक नहीं किया गया और यही नहीं अरविन्द मायाराम पैनल जिसने रिटेल व्यापार में एफडी आई की सीमा बढाकर 74 प्रतिशत करने की सिफारिश की है ने भी व्यापारियों से कोई बातचीत नहीं की ! इस से यह साफ़ जाहिर होता है की सरकार किसी बनी बनायीं योजना के तहत विदेशी कम्पनियों और बड़े कॉर्पोरेट घरानों के दबाव में काम करते हुए उन्हें बड़ा लाभ देने की तय्यारी में जुटी हुई है ! उन्होंने कहा की कैट ने यह मांग की है की सरकार को इस पर पुन विचार करना चाहिए !
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