राष्ट्रीय (24/06/2013)
उत्तराखंड त्रासदी को राष्ट्रीय शोक घोषित किये जाने की मांग,सहायता के लिए देश भर में व्यापारी एकत्र करेंगे सहायता राशि
उत्तराखंड में आई त्रासदी के कारण हुए अप्रत्याशित विनाश से सारा देश स्तब्ध है ! इस भयंकर आपदा जिसमें हजारों लोगों के मरने की आशंका है जबकि हजारों लोग लापता है और हजारों की संख्या में लोग जख्मी भी हुए हैं और जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं ! इस दुर्दांत दुर्घटना से देश भर के व्यापारियों में भी शोक छा गया है और व्यापारियों सहित अन्य लोगों की भावनाओं के अनुरूप व्यापारियों के शिखर संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने 24 जून को देश भर में "प्रार्थना दिवस" के रूप में मनाने की घोषणा की है और सभी राज्यों के व्यापारिक संगठनों को सलाह दी है की अपने अपने राज्यों में इस दिन प्रार्थना सभा आयोजित कर लोगों की कुशलता और इस संकट से राहत की प्रार्थना की जाए ! कैट ने प्रधानमंत्री से मांग की है की उत्तराखंड त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करते हुए इस घटना को राष्ट्रीय शोक भी घोषित करे ! कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की जहाँ देश भर में प्रार्थना सभाएं होंगी वहीँ दिल्ली में कनाट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर में प्रात : 9:30 बजे विशेष प्रार्थना सभा होगी ! कैट के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र मदान ने बताया की दिल्ली के सभी क्षेत्रों के व्यापारिक संगठनों के प्रमुख व्यापारी नेताओं के अलावा सभी प्रमुख राजनैतिक दलों के बड़े नेताओं, दिल्ली की मुख्यमंत्री एवं अन्य मंत्री, दिल्ली के तीनों महापौर और प्रमुख नागरिकों को भी प्रार्थना सभा में शामिल होने का आग्रह किया है ! कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भर्तिया ने बताया की आगामी 25 जून व्यापारियों के शुभंकर भामाशाह का जन्म दिवस है और इस दिन को व्यापारी देश भर में " उत्तराखंड सहायता राशि एकत्रीकरण दिवस " के रूप में मनाएंगे ! इस दिन देश के सभी राज्यों के बाजारों में व्यापारी संगठन व्यापारियों से राहत राशि इकट्ठी करेंगे! उन्होंने ने बताया की देश के अनेक भागों से पहले से ही व्यापारियों ने खाद्य वस्तुएं, दवाइयां आदि बड़ी मात्रा में भेजी हैं ! कैट ने अपनी दो वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय संगठन मंत्री सतीश गर्ग और अपने केंद्रीय कार्यालय के प्रमुख आदर्श गुप्ता को उत्तराखंड की स्तिथि का जायजा लेने भेजा हैं जो यह पता लगायेंगे की राहत के लिए किस सामान की अधिक आवश्यकता है ! |
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