राष्ट्रीय (18/06/2013)
इलाहाबाद गंगा दशहरा
-ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है । इस पर्व के लिए गंगा मंदिरों सहित अन्य मंदिरों पर भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है । इस दिन स्वर्ग से गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करने से दस पापों का हर होकर अंत में मुक्ति मिलती है। गंगा दशहरा के इस पवित्र पर्व मे देश के कोने कोने से श्रद्धालु इलाहाबाद के संगम तट पर आते है और गंगा मे स्नान करते है ..स्नान का सिलसिला सुबह भोर से शुरू होजाता है जो पुरे दिन तक चलता है .गंगा दशहरा के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन दान में सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करने से दोगुना फल प्राप्त होता है। इस दिन संगम मे दान की विशेष परम्परा है.. मान्यता है की गंगा दशहरा के पावन पर्व पर माँ गंगा में डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैसे तो गंगा स्नान का अपना अलग ही महत्व है, लेकिन इस दिन स्नान करने से मनुष्य सभी दुःखों से मुक्ति पा जाता है।.भागीरथी के धरती पर अवतरण का पर्व गंगा -दशहरा पूरे देश मे पूरी आस्था के साथ मनाया जा रहा है लेकिन गंगा के पावन नदी यमुना और सरस्वती के साथ मिलन स्थल इलाहाबाद मे इसे माँ गंगा के सबसे लाडले पुत्र भीष्म के जन्म दिन के रूप मे भी मनाया जाता है | संगम नगरी मे गंगा पुत्र भीष्म की विशालकाय प्रतिमा मे सर जुखाने को आज भी गंगा भक्तों को बेसब्री से इन्तजार रहता है | आज के ही दिन गंगा पुत्र भीष्म को सर शैय्या से निर्वाण भी मिला था |.संगम नगरी की रेत पर इन दिनों गंगा भक्तों का जमघट लगा है | गंगा दशहरा मे दस ग्रहों के ख़ास आनंद योग बन रहे है महाभारत और पुरानो की मान्यता के अनुसार गंगा पुत्र भीस्म भी आज के ही दिन गंगा जी के गर्भ से अवतरित हुए थे|...पौराणिक मान्यताओं मे इस बात का भी उल्लेख है की जिन महापुरुसों को सिद्ध संकल्प की प्राप्ती थी उनके अंदर यह शक्ती थी की वह अपनी मौत की घधी को अपने वश मे कर सकते थे | गंगा पुत्र भीष्म को भी यह शक्ती प्राप्त थी जिसके चलते सरसैय्या मे आने के बाद अपनी मौत को वह तब तक रोके रहे जब तक सूर्य उत्तरायण नही आ गया | गंगा दशहरा के दिन ही भीष्म को निर्वाण की मुक्ती हुई |गंगा दशहरा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है । ज्येष्ठ शुक्ला दशमी को दशहरा कहते हैं। इसमें स्नान, दान, रूपात्मक व्रत होता है। स्कन्दपुराण में लिखा हुआ है कि, ज्येष्ठशुक्ला दशमी संवत्सरमुखी मानी गई है इसमें स्नान और दान तो विशेष करके करें। किसी भी नदी पर जाकर अर्घ्य (पूजादिक) एवम् तिलोदक (तीर्थ प्राप्ति निमित्तक तर्पण)अवश्य करें। ऐसा करने वाला महापातकों के बराबर के दस पापों से छूट जाता है।-यदि ज्येष्ठ शुक्ला दशमी के दिन मंगलवार रहता हो व हस्त नक्षत्र युता तिथि हो यह सब पापों के हरने वाली होती है। वराह पुराण में लिखा हुआ है कि, ज्येष्ठ शुक्ला दशमीबुधवारी में हस्त नक्षत्र में श्रेष्ठ नदीस्वर्ग से अवतीर्ण हुई थी वह दस पापों को नष्ट करती है। इस कारण उस तिथि को दशहरा कहते हैं। ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, बुधवार, हस्तनक्षत्र, गर, आनंद, व्यतिपात, कन्या का चंद्र, वृषभ के सूर्य इन दस योगों में मनुष्य स्नान करके सब पापों से छूट जाता है। |
Copyright @ 2019.