शनिवार से जारी बारिश ने उत्तराखंड में जबरदस्त कहर बरपाया। विशेषकर गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी और टिहरी जिले सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं, जबकि हरिद्वार और देहरादून के कई इलाकों में पानी भरा हुआ है। सड़कें, पुल, झूला पुल और संपर्क मार्ग ध्वस्त होने से मंडल के सैकड़ों गांव और कस्बे शेष दुनिया से कट गए। सौ से अधिक भवन उफनती नदियों में समा चुके हैं। आपदा से रुद्रप्रयाग में 11, देहरादून में 7, टिहरी में 09, उत्तरकाशी में 02, चमोली व हरिद्वार में एक-एक और कुमाऊं के अल्मोड़ा जिले में लोगों की मौत हो गई। रविवार से अब तक उत्तराखंड में कुल 58 लोगों की मौत हो गई, जबकि लापता लोगों की संख्या को लेकर जिलों के प्रशासन असमंजस में हैं। रुद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ में बादल फटने और भूस्खलन से भारी तबाही हुई है। गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर स्थित रामबाड़ा मेंहुए भूस्खलन से करीब एक दर्जन दुकानें ध्वस्त हो गईं। शासन से मिली प्रारंभिक जानकारी के अनुसार अभी तक केदारनाथ में 11 शव निकाले जा चुके हैं, वहीं शासन के मुताबिक रुद्रप्रयाग जिले में मृतकों की संख्या 20 है। जबकि रामबाड़ा में 50 से अधिक के लापता होने की आशंका जताई जा रही है। केदारनाथ हेलीपैड़ के भी भूस्खलन की चपेट में आने के समाचार हैं। हेलीपैड को हुए नुकसान का पता नहीं चल पाया है। प्रशासन के मुताबिक केदारनाथ मंदिर पूरी तरह सुरक्षित है। लगातार हो रही बारिश और संचार व्यवस्था ध्वस्त होने के कारण राहत कार्य शुरू नहीं हो पाए हैं। केदारनाथ में ढाई से तीन हजार तीर्थ यात्रियों के फंसे होने की सूचना है, जिनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। उधर, टिहरी जिले के थत्यूड़ और प्रतापनगर क्षेत्र में मलबे में दबने से नौ लोगों की मौत हो गई। कालसी ब्लाक में भी मकान ढहने से एक ही परिवार के 4 लोग जिंदा दफन हो गए। साथ ही पौड़ी जिले के श्रीनगर शहर में अलकनंदा का पानी घुसने से कई इलाकों को खाली कराया गया है। इसके अलावा कुछ दुकानों को भी नुकसान पहुंचा है।हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा खतरे के निशान पर बह रही है। वहीं पहाड़ों में ज्यादातर नदियां खतरे की निशान से ऊपर बह रही हैं। चार धाम यात्र लगभग ठप है। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग कई स्थानों पर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हैं। शासन से मिली रिपोर्ट के अनुसार यात्र मार्गो पर विभिन्न जगहों पर करीब 60 हजार से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं। रुद्रप्रयाग जिले मेंहालात गंभीर हो गए हैं। मंदाकनी नदी में आए उफान से जिले के सोन प्रयाग, चंद्रापुरी और अगस्त्यमुनि का बड़ा भाग का जलमग्न हो गया। प्रशासन ने रविवार की रात ही इन कस्बों को खाली करा लिया था। तकरीबन 20 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित ठिकानों में पनाह दी गई है। इसके अलावा केदारनाथ पहुंचने के अंतिम पड़ाव गौरीकुंड को भी खाली करा लिया गया है।
जिले में एक दर्जन से ज्यादा झूला पुल और तीन मोटर पुल बहने से ज्यादातर इलाके अलग-थलग पड़ गए हैं।चमोली जिले के हालात भी अलग नहीं हैं। हेमकुंड साहिब के पास गोविंदघाट में अलकनंदा में आई बाढ़ में पार्किंग में खड़े तकरीबन बीस वाहनों के बहने की सूचना है। इसके साथ ही गोविंदघाट में खड़े एक निजी कंपनी के हेलीकाप्टर के भी डूबने का समाचार है। चमोली के पास बिरही कस्बे में गढ़वाल मंडल विकास निगम के होटल के अलावा जिले में बीस से ज्यादा आवासीय और व्यावसायिक भवन भूस्खलन की भेंट चढ़ गए। हालांकि इसमें किसी तरह की जान के नुकसान की सूचना नहीं है। इसके अलावा बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग क्षतिग्रस्त होने से बदरीनाथ शहर में दस हजार, हेमकुंड साहिब में सात हजार और रास्ते में करीब 15 हजार श्रद्धालुओं के फंसने की सूचना है। सभी यात्री सुरक्षित बताए जा रहे हैं। बदरीनाथ राजमार्ग पर पातालगंगा में हुए भूस्खलन में सात बाइक सवार दब गए। इनमें से चार घायलों को निकटतम अस्पताल में पहुंचाया गया है, जबकि एक की मौत हो गई और दो लापता हैं।उत्तरकाशी में भगीरथी और असी गंगा नदियों का पानी खतरे के निशान पार कर गया है। प्रशासन ने शहर में पांच सौ परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है। शहर और आसपास के इलाकों में 80 से ज्यादा भवन भगीरथी की उफान की भेंट चढ़ चुके हैं। डुण्डा ब्लाक उडरी गांव में मलबे में दबे मकान में चार लोग फंसे हुए हैं। भटवाड़ी और उत्तरकाशी के गंगोत्री व यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग करीब दस स्थानों पर क्षतिग्रस्त है। गंगोत्री और यमुनोत्री में करीब दस हजार से ज्यादा यात्री फंसे हैं। जिले में पांच झूला पुल बहने की भी सूचना है। बिजली-पानी ठप होने से लोग परेशान हैं। राहत कार्यो में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) की मदद ली जा रही है। कुमाऊं के अल्मोड़ा में भी बारिश का कहर बरपा। मलबे की चपेट में आने से उत्तराखंड परिवहन की बस खाई में गिरी हादसे में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि तीस घायल हो गए। इसके अलावा जिले के ग्रामीण क्षेत्र में भी मलबे में दबकर एक की मौत हो गई। इसके अलावा पिथौरागढ़ जिले के धारचूला और मुनस्यारी के 35 गांवों के अस्सी मकान बारिश के क्षतिग्रस्त होने की सूचना है। इसके अलावा छोटे-बड़े 14 पुल बाढ़ की भेंट चढ़ गए। पिथौरागढ़ में सेना की 14 बैरक बह गईं, जबकि ट्रांजिट कैंप क्षतिग्रस्त हो गया।कालसी ब्लाक में भी मकान ढहने से एक ही परिवार के चार लोग जिंदा दफन हो गए। |