राज्यों के मंत्रिओं की बात की जाए तो उत्तराखंड सरकार के मंत्री जो की जनता की सेवा कर रहे हैं देहरादून या सिर्फ ऐसे छेत्रों मे ही जाते हैं जहाँ जाने मे कोई दिक्कत या परेशानी ना हो जब कोई बड़ी परेशानी होती है तब ही अपना रुख गाँव व दूर दराज के छेत्रों पहाड़ी इलाको की तरफ करते है गाँव का विकास सिर्फ कागजों मे ही होता है और चुनाव के समय उन्हें अपनी विधानसभा ही सबसे प्यारी लगती है और प्रचार मे अपनी विधानसभा के अन्दर आने वाले गाँवों का विकास दीखता है पर कुर्सी मिलने के बाद सिर्फ अपना विकास अगर पहले के मुकाबले देखा जाए तो उत्तराखंड मे राजनीती बहुत बदल गई है चेहरा ही बदल गया है राजनीती का । कई लोगों ने अपनी जान तक दे दी थी उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के लिए उत्तराखंड के विकास के लिए पर आज जो कुर्सी पे बेठे है वोह सिर्फ अपनी जगह बना रहे है कुर्सी के लिए कोई भी राजनितिक दल हो सब ने बड़े बड़े वादे तो किये पर न जाने क्यों इरादे सबके एक जैसे रहे कुछ अच्छे नेताओं को कुर्सी मिली और उन्होंने बदलाव लाने की कोशिश की तो उनसे कुर्सी ही छीन ली गई । अगर बात करें उत्तराखंड के आम आदमियों से जुडी छोटी छोटी बाते तो राष्ट्रीय राजमार्ग के आलावा वही सड़के ठीक ठाक है जहाँ भारतीय सेना को सड़क की शुरक्षा व मरमत का काम सोंपा गया है कई सड़कों के टेंडर पास होने के बाद भी शुरू नहीं हुए हैं कई स्कूल सरकारी पेपर मे मे ही शुरू हुए हैं कई ऐसी गेर सरकारी संस्था है जो विकार कार्य कर रही है पर उन्हें सरकार से बड़ी मदद नहीं मिल पा रही है जहाँ पानी की कमी न थी वहां पानी की किल्लत बढती जा रही है पुराने मंदिरों के विकास कार्य विकास नहीं कर पा रहे हैं पड़े लिखे लोग बेरोजगारी की मार खा रहे है उच्च शिक्षा के बाद गारंटी रोजगार मे इंट पत्थर लगा के सड़के बना रहे है और अपना पेट पाल रहे है । पिछले कुछ सालो मे उत्तराखंड मे दहशत गर्दी भी बहुत बड़ी है भूमाफियाओं का कहर राज्य मे बढ़ता जा रहा है यहाँ प्रक्रिया राज्यों के पर्वतीय जनपदों की अपेक्षा तराई व मैदानी छेत्रों देहरादून , उधमसिंह नगर , हरिद्वार , नेनीताल जनपदों मे बहुत तेजी से जारी है सरकारी आंकड़ों के अनुसार नदी नालो और खालों मे लगभग १५ फीसदी से आधिक भूमि है जिसपर राज्यों के भुमफ़िओन की पेनी नज़र लगी हुई है और एस रहा तो क्या भविष्य होगा देव भूमि उत्तराखंड का । ये साड़ी बाते सोच कर लगता है पिछले १० - १२ सालों मे क्या विकास हुआ है उत्तराखंड मे विकास तो हुआ है सरकारी कुर्सिओन का उन नेताओ का जिनको एक बार मंत्री बन्ने का मोका चहिये था , साथ ही साथ देहरादून का जो उत्तराखंड की राजधानी है जिसमे उत्तराखंड राज्य की सरकार कार्य करती है। बदलाव आया है तो सत्ता नए चेहरों का नई सरकार और भूमाफियों के कहर का । हमे क्या दोष देते हो दोष तो ज़माने का है , लेखक , पत्रकार , समाजसेवी |