राष्ट्रीय (08/06/2013) 
राजनैतिक दलों को आरटीआई के तहत लाना प्रशंसनीय : मनेश

मुजफ्फरनगर। सूचना के अधिकार की राष्ट्रीय अभियान समिति के सदस्य एवं जनकल्याण उपभोक्ता समिति के अध्यक्ष मनेश गुप्ता ने केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा राजनैतिक दलों को सूचना अधिकार कानून के अंतर्गत लाये जाने के फैसले को राजनैतिक दलों के भीतर आन्तरिक प्रजातंत्र एवं सार्वजनिक जीवन में पारदिर्शत लाये जाने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। मनेश गुप्ता ने कहा कि राजनैतिक दलों का गठन निर्वाचन आयोग में पंजीकरण के माध्यम से होता है। उन्हें सरकार की ओर से कई सुविधाएं मिलती है। मसलन रियायती दरों पर जमीन पर बंगला, आयकर से छूट, चुनाव के समय दूरदर्शन और आकाशवणी पर मुक्त प्रसारण आदि। केंद्रीय सूचना आयोग के फैसले के विरूद्ध सभी राजनैतिक दलों के एकजुट होने की प्रक्रिया यही सिद्ध करती है कि समस्त राजनैतिक दल काले धन, भ्रष्टाचार और अनैतिक साधनों का प्रयोग कर जिस तरह से चुनाव लडकर सत्ता या विपक्ष में आते हैं और संसद व विधानमंडल चुने जाते है इससे देश में राजनैतिक दलों से भ्रष्टाचार के विरूद्ध या आम आदमी के हित में खड़े होने की कोई सम्भावना नजर नहीं आती है। अब जबकि मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों को सरकार आम जनता के पैसे से भारी छूट व सुविधाएं उपलब्ध कराती है तो राजनैतिक दलों का एक स्वर से यह कहना है कि हम सूचना अधिकार की धाराओं के अंतर्गत लोक प्राधिकारी की परिभाषा में नहीं आते हैं यह गलत है। इस प्रकार समस्त राजनैतिक दलों का केंद्रीय सूचना आयोग के निर्णय के विरूद्ध खड़ा होना दर्शाता है कि 63 साल के बाद भी हमारे देश के राजनैतिक दल संविधान एवं प्रजातंत्र को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं।

 

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