राष्ट्रीय (06/05/2013) 
औद्योगिक हब बनने की दिशा में हिमाचल के बढ़ते कदम
प्रदेश में अधिक से अधिक औद्योगिक निवेश को आमंत्रित करने के लिए वर्तमान प्रदेश सरकार ने ‘निमंत्रण के माध्यम से उद्योग’ का मंत्र अपनाया है, ताकि हिमाचल प्रदेश को देश का औद्योगिक हब बनाया जा सके। इसके अतिरिक्त देश के विभिन्न भागों में निवेशक सम्मेलन और रोड़ शो भी आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि अधिक निवेश आमंत्रित किया जा सके। राज्य सरकार प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अधोसंरचना विकास पर बल दे रही है। ऊना, सोलन और कांगड़ा जि+लों में अत्याधुनिक औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं और इस उद्देश्य के लिए इन जिलों में 500-500 बीघा भूमि चिन्हित कर ली गई है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने विजन दस्तावेज और रोड़ मैप तैयार किया है। प्रदेश सरकार ‘फूड पार्क’ स्थापित करने को भी प्रोत्साहन दे रही है।
हिमाचल प्रदेश में पारम्परिक हथकरघा, हस्तशिल्प, उच्च तकनीक पर आधारित कपड़ा उद्योग, दूरसंचार, इलैक्ट्राॅनिक इकाइयां, दवा उद्योग, इंजीनियरिंग उद्योग, उच्च गुणवत्ता वाले उपकरण तथा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने के लिए समुचित एवं विविध आधार उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त, प्रदेश का मौसम बागवानी, औषधीय एवं सब्जी पर आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए सर्वथा उपयुक्त है। इसलिए राज्य सरकार फल, सब्जी, मक्की और स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कच्चे माल पर आधारित उद्योगों की स्थापना पर बल दे रही है। इन उद्योगों को प्राथमिकता वाले क्षेत्र में शामिल कर इन्हें विशेष प्रोत्साहन पैकेज प्रदान करने का निर्णय लिया गया है।
प्रदेश सरकार प्रदूषण मुक्त, आय सृजन करने वाली और रोजगारोन्मुखी औद्योगिक इकाइयों की स्थापना पर बल दे रही है, ताकि प्रदेश की आय में आशातीत वृद्धि की जा सके और स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सके। प्रदेश में उद्योग लगाने के इच्छुक निवेशकों को सस्ती दरों पर समुचित बिजली आपूर्ति, बेहतर कानून एवं व्यवस्था और उपयुक्त औद्योगिक माहौल जैसे प्रोत्साहन उपलब्ध हंै। प्रदेश में वर्तमान में 39,254 औद्योगिक इकाइयां हैं। इन इकाइयों में 17,601 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है और इनमें 2.72 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध हुआ है। औद्योगिक क्षेत्र प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में 16 प्रतिशत का योगदान कर रहा है, जोकि प्रदेश की दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों और कठिनाइयों को देखते हुए उत्साहजनक है।
प्रदेश सरकार ने उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय एकल खिड़की स्वीकृति एवं अनुश्रवण प्राधिकरण की स्थापना की है। यहां सभी स्वीकृतियां एक ही छत के नीचे प्रदान की जाती है। वर्तमान में प्राधिकरण द्वारा प्रार्थना पत्र उपलब्ध होने के 90 दिन के भीतर स्वीकृतियां प्रदान की जा रही हैं। वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल में इस प्राधिकरण ने 608.64 करोड़ रुपये के निवेश के 38 औद्योगिक प्रस्तावों को स्वीकृत किया है। इन इकाइयों में लगभग 2 हजार व्यक्तियों को रोज+गार मिलेगा। 400 करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव कतार में हैं। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मिशन के अंतर्गत 10.64 करोड़ रुपये निवेश के 6 प्रस्ताव स्वीकृत किए गए हैं।
सोलन जिले के बद्दी में 18.82 करोड़ रुपये की लागत से एक मिनी टूल रूम स्थापित किया जा रहा है। इस उद्देश्य के लिए गठित स्पैशल पर्पज व्हीकल के लिए 15 हजार वर्ग मीटर भूमि आवंटित कर दी गई है। यहां उद्योग जगत को टूलिंग सुविधाएं प्राप्त होगी और बेरोज+गार युवाओं को कौशल विकास की सहायता मिलेगी। इसके अतिरिक्त बद्दी में ही 80.50 करोड़ रुपये की लागत से औषधीय एवं सम्बद्ध उद्योग समूह परियोजना भी कार्यान्वित की जा रही है।
क्षेत्र विशेष में संसाधनों की कमी और प्रदेश में एक समान औद्योगिक विकास सुनिश्चित बनाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने स्थापित औद्योगिक इकाइयों से अन्तरराज्जीय व्यापार पर केन्द्रीय बिक्री कर 1.5 प्रतिशत की दर से वसूलने का निर्णय लिया है। अधिकांश अन्य राज्य 2 प्रतिशत की दर से यह कर वसूल रहे हैं। प्रदेश में नई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए 1 अप्रैल, 2013 के उपरांत स्थापित नई इकाइयों और तदोपरांत विस्तार करने वाली इकाइयों को 5 वर्ष के लिए केन्द्रीय बिक्री कर में 1 प्रतिशत की दर से छूट दी जा रही है। राज्य सरकार केन्द्र सरकार से वर्ष 2020 तक औद्योगिक पैकेज को बढ़ाने का मामला भी उठा रही है, ताकि हिमाचल को अन्य विशेष श्रेणी राज्यों को उपलब्ध प्रोत्साहन एवं रियायतें मिल सकें।
प्रदेश में स्थापित हो रहे उद्योगों को दक्ष श्रम शक्ति उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से राज्य कौशल विकास परिषद स्थापित की जा रही है। यह परिषद विभिन्न विभागों द्वारा चलाए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों में एकरूपता लाएगी। इससे प्रदेश के युवाओं को रोज+गार के बेहतर अवसर उपलब्ध होंगे। परिषद निजी कौशल विकास एजैंसियों से भी समन्वय स्थापित करेगी, ताकि प्रशिक्षण के उपरांत युवाओं को बेहतर रोजगार मिल सके। केन्द्रीय कपड़ा मंत्रालय के सहयोग से राज्य सरकार इस क्षेत्र में कौशल विकास एवं रोजगार सृजन के उद्देश्य से 12 कपड़ा एवं कपड़ा डिजाइन प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करेगी।
एक ओर राज्य सरकार प्रदेश में त्वरित औद्योगिकीकरण के लिए प्रतिबद्ध है तो वहीं दूसरी ओर यह भी सुनिश्चिित बनाया जा रहा है कि गैर योजनाबद्ध औद्योगिकीकरण और अन्य गतिविधियों से प्रदेश का स्वच्छ एवं पवित्र पर्यावरण दूषित न हो। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रदेश में अवैध खनन पर रोक लगाने की दिशा में सुझाव देने के लिए एक उप समिति गठित की गई है। यह समिति एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। प्रदेश सरकार के यह सतत् प्रयास निवेशकों के लिए नए द्वार खोलेंगे और राज्य को औद्योगिक गतिविधियों का केन्द्र बनाने में सफल सिद्ध होंगे।
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