प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने आज यहां कुछ समाचार पत्रों में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की विभिन्न परियोजनाओं में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार ऊर्जा हिस्से में बढ़ोतरी के अनुरूप हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा बकाये के दावे में कमी के संबंध में प्रकाशित समाचारों को बेबुनियाद एवं निराधार करार दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि लम्बी कानूनी लड़ाई के उपरांत सर्वोच्च न्यायालय ने 27 सितम्बर, 2011 को दिए गए अपने फैसले में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड परियोजनाओं में हिमाचल प्रदेश की हिस्सेदारियों को प्रथम नवम्बर, 1966 की तिथि से बढ़ाकर 7.19 प्रतिशत कर दिया था। प्रथम नवम्बर, 2011 से भाखड़ा-नंगल पावर हाउस से हिमाचल प्रदेश को बढ़े हुए हिस्से के रूप में 29.29 मेगावाट के बजाये 84.23 मेगावाट, डैहर पावर हाउस से निर्धारित 15 मेगावाट के बजाये 56.83 मेगावाट तथा पौंग पावर हाउस से शून्य के स्थान पर 11.77 मेगावाट मिलना आरम्भ हो गया। प्रवक्ता ने कहा कि विभिन्न परियोजनाओं में वर्ष 1966 से कुल ऊर्जा में हिमाचल प्रदेश का हिस्सा 7.19 प्रतिशत की बढ़ी हुई दर के अनुसार लगभग 13 हजार 100 मिलियन यूनिट बनता है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे कि पिछली तिथि से हिमाचल प्रदेश के बकाया दावों की विस्तृत जानकारी तैयार की जाए और इस संबंध में फैसले की तिथि से छह माह के भीतर दावे के संबंध में वक्तव्य दायर करें। हिमाचल प्रदेश सरकार ने सहायक दस्तावेजों और विस्तृत ब्योरे के साथ केंद्र सरकार के समक्ष 4249.45 करोड़ रुपये का कुल दावा प्रस्तुत किया था। यह दावा 6 प्रतिशत की चक्रवृद्धि ब्याज दर पर आधारित था। 6 प्रतिशत साधारण ब्याज की दर पर यह दावा 3300 करोड़ रुपये बनता था। दावा प्रस्तुत करने के उपरांत राज्य सरकार विभिन्न स्तरों पर इस मामले का अनुसरण कर रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने समय-समय पर आयोजित विभिन्न बैठकों में व्यक्तिगत रूप से इस मामले पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से विचार-विमर्श किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अभी इससे संबंधित विभिन्न मामलों का परीक्षण कर रही है और इस संबंध में वह अभी अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंची है। केंद्र सरकार द्वारा अभी राज्य के दावे के संबंध में अंतिम निर्णय लिया जाना शेष है और कुछ समाचार पत्रों में दावे में कमी के संबंध में जो रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, वह झूठी एवं निराधार है।
प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार उच्च स्तरों पर इस मामले को उठा रही है और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार तथा मान्य दरों के संबंध में प्रचलित प्रक्रिया के अनुरूप तय किए गए दावे में कमी करने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता। प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार दायर किए गए दावे में से अपने हिस्सा का एक भी पैसा नहीं छोड़ेगी और अपने कानूनी हिस्से को प्राप्त करने के लिए सभी संभावनाएं तलाशी जाएंगी।
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