नई दिल्ली। श्री राम जन्म महोत्सव लीला समिति (श्री राम हनुमान वाटिका मंदिर) की ओर से रामनवमी के मौके पर रामलीला मैदान में कराई जा रही प्रभु राम के जन्म से पूर्व की लीला में आज भये प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशिल्या हितकारी का मंचन हुआ। लीला में राजा दशरथ-रानी कौशिल्या की संतान के रूप में प्रभु ने जन्म लिया। भगवान अपने असली रूप में प्रगट हुए, रानी कोशिल्या ने भगवान से प्रार्थना की वह मुझे बाल रूप में चाहिए। इसके बाद भगवान ने बाल रूप धारण कर लिया। उधर रानी को पुत्र होने की सूचना कुछ ही देर में पूरी अयोध्या नगरी में फैल गई और नगर वासी झूमने लग गए। इसी बीच राजमहल में राजा दशरथ को बधाई देने के लिए तमाम देवी-देवता एवं नगर वासियों का तांता लग गया। लीला देखने आए अनेक गणमान्य अतिथियों का समिति अध्यक्ष सुखबीर “ारण अग्रवाल ने स्वागत किया। इस मौके पर मंदिर के महंत श्रीरामकृष्ण दास महात्यागी जी महाराज मचान वाले बाबा ने अपने संदेश में कहा कि जब-जब पृथ्वी पर अत्याचार बढा है, तब-तब ऋषि-मुनिया, साधुओं की रक्षा के लिए प्रभु प्रगट हुए। क्योंकि प्रभु कभी भी धर्म के रक्षकों पर अत्याचार होता नहीं देख सकते। वह अपने भक्तों की रक्षा के लिए कभी राजमहल में प्रगट होते है तो कभी काल कोठरी में भी जन्म ले लेते है। उन्हें कोई रोक नहीं सकता और उनके भक्तों पर अत्याचार करने वालों का सर्वनाश तय है। इस कारण मनुष्य को कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए। उसे अपने कर्मों के बल पर सब कुछ मिलने के बावजूद राष्टहित में कार्य करना चाहिए। मंदिर में दिन में भगवान राम जन्म उत्सव मनाया गया। बडी संख्या में भक्तों नेभगवान की आरती की। नवरात्रा के मौके पर सैंकडों साधु-संतों ने आज भी एक साथ बैठकर श्रीरामयण का पाठ किया। मंदिर में चल रहे श्रीशतचंडी यज्ञ में पूर्ण आहूति दी गई इसके साथ यज्ञ संपंन हुआ। |