मुजफ्फरनगर। जहां एक ओर पहले ही आम आदमी गर्मी से व बिजली न आने से परेशान था वहीं अब तो पानी की किल्लत से भी आम आदमी परेशान हो चला है। गर्मी की दस्तक होते ही बिजली संकट के साथ ही पेयजल संकट भी गहरा गया है। तापमान के साथ ही बढ़ती डिमांड एवं घटती बिजली आपूर्ति से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। इससे शहर में पेयजल संकट भी गहराता जा रहा है। एक तो शहर में पहले से ही पानी की आपूर्ति बीस एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) कमी थी। अन्धाधुंध बिजली कटौती के साथ ही स्थिति और विकट हो गयी है। गांव में ही नहीं बल्कि जनपद मुख्यालय पर बिजली का भीषण संकट खड़ा हो गया है। पावर कारपोरेशन के नये बिजली शेडयूल ने तो पूरी व्यवस्था ही चैपट कर दी है। सुबह दस बजे से शाम चार बजे तक लगातार छह घंटे उसके बाद रात में नौ बजे रात्रि एक बजे तक की चार घंटे यानि कुल दस घंटे की घोषित कटौती ने दिन का चैन एवं रात की नींद छीन ली है। इसके अलावा बीच में अघोषित कटौती हो रही है। शहर को कुल मिलाकर दस से बारह घंटे ही बिजली मिल पा रही है। साथ ही साथ बिजली कटौती के चलते अब तो शहरवासियों केा पानी का संकट भी हो गया है क्योंकि जब बिजली ही नहीं है तो पानी भी नहीं है। लोगों को बिजली के साथ साथ पानी न आने से और भी अधिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वहीं नलकूपों पर लोगों की भारी भीड़ देखी जा सकती है। नगर पालिका द्वारा शहर में चैबीस घंटे पेयजल आपूर्ति के दावे किये जा रहे हैं। नगर पालिका के मुताबिक प्रति व्यक्ति पानी की खपत डेढ़ सौ लीटर प्रतिदिन है। इस हिसाब से सत्तर एमएलडी पानी की आवश्यकता है लेकिन इसके सापेक्ष पचास से पचपन एमएलडी पानी ही आपूर्ति हो रही है। पावर कारपारेशेन के मुताबिक जिले में प्रतिमाह 256 मिलियन यूनिट बिजली की डिमांड है। इसके सापेक्ष जिले को 188 मिलयिन यूनिट बिजली ही मिल रही है। नगर की बात की जाये तो सामान्य रूप से शहर में प्रतिमास सौ मिलियन यूनिट बिजली ही मिल पा रही है जबकि अघोषित कटौती को शामिल करते तो यह औसत साठ मिलियन यूनिट से भी कम होता।
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