राष्ट्रीय (15/04/2013) 
पाकिस्तानी हिन्दुओ की मदद हेतु अपील
मात्र तीन दिन के अपने बेटे को उसके दादा-दादी के पास छोड्कर पाकिस्तान से तीर्थयात्रा वीजा पर भारत आने वाली 30 वर्षीय भारती रोती हुई अपनी व्यथा बताते हुए कहती है कि “अगर मै अपने बेटे का वीजा बनने का इंतज़ार करती तो कभी भी भारत न आ पाती.” 15 वर्षीय युवती माला का कहना है कि पाकिस्तान मे उनके लिये अपनी अस्मिता को बचाये रखना मुश्किल है तो 76 वर्षीय शोभाराम कहते है कि वे भारत मे हर तरह की सजा भुगत लेंगे परंतु अपने वतन पाकिस्तान वापस नही जायेंगे क्योंकि हमारा कसूर यह है कि हमने हिन्दू-धर्म मे पाकिस्तान की धरती पर जन्म लिया है. मै अपनी आँखो के सामने अपने घर की महिलाओ की अस्मिता लुटते नही देख सकता कहते हुए 80 वर्षीय बुजुर्ग वैशाखी लाल की आँखे नम हो गयी. दरअसल यह दिल्ली स्थित बिजवासन गाँव के एक सामजिक कार्यकर्ता नाहर सिँह के द्वारा की गई आवास व्यवस्था मे रह रहे 479 पाकिस्तानी हिन्दुओ की कहानी है (कुल 200 परिवारो मे 480 लोग है, परंतु एक 6 माह की बच्ची का पिछले दिनो स्वर्गवास हो गया). एक माह की अवधि पर तीर्थयात्रा पर भारत आये पाकिस्तानी -हिन्दू अपने वतन वापस लौटने के लिये तैयार नही है.
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