सरकारी नकारेपन की वजह से नैतिक मूल्यों का अभाव परिणाम! पारिवारिक बिखराव नतीजा बाहुबली गिद्धों द्वारा बेखौफ होकर मज़लूमों का शोषण लगातार जारी... सदियों से देश में यह चला आ रहा है कि हर सदी में बाहुबली, गरीबों का व मजलूमों का शोषण करता रहता है व उसका शोषण करने के लिये अलग-अलग हथकंडे उपयोग करता है, इसके लिये वह उपयोग करता है गरीबों के उन कमजोर बिन्दुओं का, जिसका इस्तेमाल करने से गरीब शोषित वर्ग ही आपस में उलझ जाता है और बाहुबली एक तरफ बैठकर देखता है और हँसता है| ऐसा ही एक मामला लुधियाना का हमारी संस्था के सामने आया, जिसमें एक परिवार में फतेहपुर उ.प्र. से एक बेटी बहु बन कर आई, हमारे देश की सरकारी अव्यवस्था की वजह से शैक्षणिक जागरूकता आम परिवारों को प्राप्त नहीं हो पा रही है जिसके परिणाम स्वरूप परिवार पुरानी मान्यताओं, बड़े-बुजुर्गों व खुद के उन साथियों की सलाह(जो अधिकांशतः इस प्रकार की होती है कि सहेलियाँ कहती हैं कि पति को मुट्ठी में रखना आदि) को अपनी शिक्षा मान बैठता हैं| मगर शैक्षणिक योग्यता में उचित सामान्य जानकारी सरकारी व्यवस्था द्वारा न दिये जाने की वजह से शादी होने के बाद बेटियाँ जब ससुराल में जाती हैं तब उन छोटी-छोटी बातों को बिना समझे-बूझे अपनी बुद्धीमता का उपयोग कर बहसबाजी करना शुरू कर देती है, जिसमें कई बा्र इस प्रकार के शब्द हावी हो जाते हैं जो पति के माता-पिता के लिये अनादर का काम करने लगते हैं जिसके परिणाम स्वरूप अपराधी प्रवृत्ति के न होने के बावजूद भी पति या सास-ससुर द्वारा डाँटने या मारने का अशोभनीय कार्य कर दिया जाता है| सही मायने में हमारी शिक्षा व्यवस्था में इस प्रकार की परिस्थिती के समय सम्माननीय वातावरण बना रहे, समस्या का समाधान शांती से निकल जाये, ऐसी शिक्षा उपलब्ध नहीं करवायी गई हैं, जब किसी बहु को ऐसी परिस्थिती में डाँट या मार का सामना करना पड़ता है तो वह या तो अशोभनीय शब्दों का उपयोग करती है या खुद को प्रताड़ित करने का(हाथ की नस काट लेना, फाँसी लगा लेना, कुँये में कूदना जैसी आत्महत्या की कोशिश करने लगती है) काम करती है| जिससे घबरा कर कई परिवार बच्चों को घर से अलग रहने की सलाह देते हैं या घर से निकाल देते हैं, जिससे उनके ऊपर किसी भी प्रकार का दोषारोपण न लग सके लेकिन ऐसी परिस्थिती का फायदा उठाने के लिये दबंग या बाहुबलियों की नज़रें गिद्ध के समान लगी रहती है और वे महिला को साम-दाम-दंड का उपयोग करके शारीरिक शोषण करने का काम करते हैं और उसमें कामयाब भी हो जाते हैं और ऐसी परिस्थिती में जब कभी मामला खुलता है तो पूरा दोषारोपण स्त्री के ऊपर लगा दिया जाता है जिसकी वजह से स्त्री डर कर व सामाजिक बदनामी के कारण उस बाहुबली का किसी भी प्रकार का विरोध नहीं कर पाती और मैदान छोड़कर भाग जाती है और बाहुबली समाज में ताल ठोककर अपनी बहादुरी के किससे सुनाने में लग जाता है और निकल पड़ता है एक नये शिकार की ओर जिससे बाहुबली का यह विजय रथ बेरोकटोक चलता रहता है क्योंकि ऐसे मामलों में कोई भी शोषित महिला सामाजिक बदनामी की वजह से विरोध व शिकायत दर्ज नहीं करती| लुधियाने के इस परिवार की पीड़ित बहु की भी बिलकुल यही परिस्थितियाँ रहीं जब सास-ससुर ने बहु की नासमझी की वजह से बेटे व बहु को अलग रहने के लिये कहा तो एक बाहुबली जतिंदर ने दोस्ती के नकाब में मदद का हाथ बढाते हुये अपने घर में किरायेदार के रूप में जगह दी जहाँ उसने बहु के साथ शुरू में बदतमीजी करने की कोशिश की तो बहु ने उसे थप्पड़ मारे और उसकी माँ से शिकायत की मगर जतिंदर की माँ ने कोई संज्ञान नहीं लिया जिससे जतिंदर की हिम्मत और बढ गई, जबकि बहु अपने पति को, पति व खुद के बीच की अनबन व अपनी नासमझी की वजह से इन पूरे मामले को नहीं बता पाई क्योंकि उसे डर था कि अगर वो पति को बतायेगी तो पति उसे ही दोषी मानेगा| परिणाम यह हुआ कि बाहुबली जतिंदर ने बहु को डरा-धमकाकर उसका शारीरिक शोषण शुरू कर दिया हालात तब और भयानक हो गये जब बाहुबली ने बहु के सामने उसकी ढाई वर्ष की बच्ची के साथ भी बलात्कार करने की कोशिश की, जिसका बहु द्वरा विरोध करने पर बाहुबली नहीं माना आखिर मामला खुला तो बाहुबली ने बहु के ऊपर ही दोषारोपण करते हुये उसे व उसके पति को जान से मारने की धमकी देते हुये उसे मकान से निकाल दिया और सामान भी उठाने नहीं दिया और धमकी दी कि गली में नजर आयोगे तो मार दिये जाओगे जिसकी F.I.R. दर्ज कराई गई मगर कोई कार्यवाही नहीं की गई| बहु खुद के शारीरिक शोषण का भेद खुला देख कर और पति के गुस्से को देख कर मायके चली गई कि कहीं उसका पति गुस्से में उसे ही न मार दे| इस पूरे वाक्ये में सरकारी नाकामी का वह पहलू साफ नजर आता है जिसमें सामाजिक संरचना के ताने-बाने को सुचारू रूप से चलने देने के किसी भी पहलू पर सरकार कोई ठोस कदम उठा नहीं रही है जिसके परिणाम स्वरूप महिला व पुरूष पूरे परिवार को एक सूत्र में बाँधे रखने संबंधी पहलू पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं| छोटे-छोटे से अनुपयोगी मामलों पर परिवार को तोड़ते हुये इन गिद्ध रूपी बाहुबलियों को मौका देते हैं शोष्ण करने संबंधी नये-नये हथकंडे उपयोग करने के लिये| इस पूरे मामले पर हमारे संगठन ने संज्ञान लिया और पाया कि एक बाहुबली किस प्रकार एक बच्ची का बलात्कार करने के बावजूद खुला घूम रहा है एक नये शिकार की तलाश में, एक महिला षड़यंत्रों का शिकार होकर शोषित हुई मगर इंसाफ नहीं माँग पा रही समाज के ठेकेदारों द्वारा बनाई गई सामाजिक कुप्रथा की वजह से जिसमें यह कहा जाता है कि महिला के ऊपर लगा एक दाग भी उसकी मौत के समान है चाहे वह धोखाधड़ी, जबरदस्ती से क्यूँ न हुआ हो जबकि पुरूष के ऊपर ऐसे १० दाग भी इन समाज के ठेकेदारों द्वारा बनाये गये नियमों के अनुसार पाक-साफ करार देते हैं| जरूरत है हमें क्रान्तिकारी परिवर्तन की जिससे शोषित महिलायें आगे बढकर ऐसे बाहुबलियों द्वारा चलाये जा रहे विजयरथ को रोक सके| इस पूरे मामले में हमने महिला के पति राजेश को समझाया कि आपकी पत्नी शोषित है वह सहानुभूति की पात्र है उसे दोषी मानकर आप खुद को ही नहीं खुद की बच्ची के साथ और अपनी पत्नी के साथ भी नाइंसाफी करेंगे, राजेश के पिताजी को भी समझाया गया कि आप अपनी बहु को गलत मत समझो वह हालातों का शिकार हुई है जैसे किसी पक्षी के बच्चें जब तब अपने माँ-बाप के साये में रहते हैं तब तक किसी दुश्मन की नजर उनपर नहीं पड़ पाती और वे शिकार नहीं हो पाते, उसी प्रकार आपके बच्चे आपसे अलग होकर हालातों के शिकार हो गये है वे सहानुभूति व आपकी हमदर्दी के पात्र हैं न कि घृणा व नफरत के| राजेश व उसके माँ-बाप इस बात को समझ गये व बहु को अपनाने को तैयार हो गये मगर पीढ़ियों से चली आ रही सामाजिक व्यवस्था ऐसी महिलाओं को दोषी करार देते हुये हमेशा दंडित करने का कार्य करती रही है| जिस बात को देखते हुये डर की वजह से महिला व उसका परिवार अपनी बेटी को ससुराल भेजने से डर रहे हैं| जिसके बारे में हमलोगों ने महिला के परिवार को समझाने की कोशिश की कि "आपकी बेटी शोषित हुई उसे इंसाफ चाहिये, आप आज अपनी बेटी को अपनी छाया में रख सकते हैं लेकिन कल जब आप नहीं रहेंगे तो एक बदनामी के दाग साथ वह अपना व बच्ची का पालन-पोषण कैसे कर पायेगी इन समाज के गिद्ध रूपी दानवों के बीच में? अतः जरूरत है आपके द्वारा समाज में एक मिसाल कायम करने की आपकी बेटी को इंसाफ दिलाते हुये उसे सिर ऊँचा करके चलने की हिम्मत देने की, आगे बढिये अपनी बेटी और नातिन को इंसाफ दिलाईये एक डर की वजह से परिवार को टूटने मत दीजीये और ऐसे गिद्ध रूपी दानवों को समाज में खुला मत घूमने दीजिये| जिससे यह परिवार सहमत हुआ और इंसाफ की लड़ाई के लिये तैयार हुआ| हम चाहते हैं कि कानपुर और लुधियाना के भारत-महान का सपना देखने वाले वे साथी व समाजसेवी आगे बढ़ें व इस मुहिम में परिवार को जोड़ने व बाहुबली, बलात्कारी जतिंदर को सज़ा दिलाने में मदद करें जिससे ढ़ाई वर्ष की बच्ची व उसकी माँ को इंसाफ मिले, जो देश में एक मिसाल के रूप में सामने आये और अन्य मामले में इस प्रकार सुलझने शुरू हों व बाहुबली घबराकर ऐसी कोई भी घिनौनी हरकत करने के बारे में सपने में भी न सोचें| जो भी सज्जन देश में चल रहे इस तरह के घिनौने अपराधों के खिलाफ हैं व वे संबंधित क्षेत्र कानपुर या लुधियाना के निवासी हैं और इस मामले में सहयोगी की भूमिका अदा करके एक परिवार को जोड़ने, बच्ची व उसकी माँ के बलात्कारी के दोषी को सजा दिलवाने में सहयोग देना चाहते हों वे मुझसे संपर्क करें जिससे मुहिम को सफलता प्राप्त हो सके| सोनिका शर्मा |