मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आज शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में हिमालय साहित्य तथा संस्कृति मंच, हिमाचल प्रदेश द्वारा आयोजित समारोह में पांच वयोवृद्ध साहित्यकारों को ‘आजीवन उपलब्धि पुरस्कार’ से सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने यह पुरस्कार सत्येन शर्मा, डाॅ. मौलूराम ठाकुर, सुन्दर लोहिया, रामदयाल नीरज तथा श्रीमती सरोज वशिष्ठ को साहित्य के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किए। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि प्रदेश में स्थापित सभी लेखक गृहों, जिन्हें पूर्व सरकार के कार्यकाल में बंद कर दिया गया था, को पुनः आरम्भ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों में लेखक गृह स्थापित किए थे, परन्तु पूर्व सरकार ने इस योजना को नजरअंदाज कर इन लेखक गृहों को एक-एक कर बंद कर दिया। धर्मशाला में 60 लाख रुपये की लागत से स्थापित संस्कृति सदन को केन्द्रीय विश्वविद्यालय के परिसर कार्यालय को दे दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने निर्णय लिया है कि विश्वविद्यालय भवन का निर्माण पूरा होने के पश्चात इस भवन को लेखकों को वापस सौंप दिया जाएगा। वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य सम्मान और अकादमी पुरस्कार प्राप्त लेखकों को हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा सुविधा उपलब्ध करवाएगी। इसके अलावा, पुरस्कृत लेखकों की 20 हजार रुपये तक की पुस्तकों की खरीद की जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 में शिमला के होटल होलीडे होम में आयोजित अकादमी पुरस्कार समारोह के दौरान उन्होंने यह घोषणाएं की थीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व सरकार साहित्य के क्षेत्र में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे लेखकों के प्रति संवेदनहीन थी और उन्हें कोई भी राज्य एवं अकादमी पुरस्कार नहीं दिए गए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित राज्य एवं अकादमी पुरस्कारों को प्रदान करने में विफल रहने वाले अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित बनाएगी। वीरभद्र सिहं ने आजीवन उपलब्धि पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार राज्य की कला एवं संस्कृति के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कृतसंकल्प है, जिसके लिए लेखकों एवं कलाकारों का सहयोग लिया जाएगा। उन्होंने वयोवृद्ध लेखकों को उनके द्वारा समाज के लिए दिए गए योगदान के लिए हिमालय साहित्य एवं संस्कृति मंच द्वारा सम्मानित करने के प्रयासों की प्रशंसा की। हिमालय साहित्य एवं संस्कृति मंच, हिमाचल प्रदेश् के अध्यक्ष एस. आर. हरनोट ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया तथा मंच द्वारा कार्यान्वित विभिन्न गतिविधियों से अवगत करवाया। उन्होंने मुख्यमंत्री के समक्ष लेखकों की विभिन्न मांगे भी रखी। इरावती पत्रिका के सम्पादक राजेन्द्र राजन ने कार्यवाही का संचालन किया तथा धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इटली के वेनिस विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग से सेवानिवृत्त सहायक प्रोफेसर मेरियोला ओफरेदी ने कहा कि भारत उनका दूसरा घर है, क्योंकि हिन्दी भाषा को इटली में बढ़ावा देने के लिए उन्होंने 50 वर्षों से अधिक का समय दिया है। उन्होंने कहा कि वयोवृद्ध एवं विख्यात लेखकों के बीच उपस्थित होकर वह गौरवान्वित महसूस कर रही हैं। सचिव कला, भाषा एवं संस्कृति मनीष गर्ग, शिमला के उपायुक्त दिनेश मल्होत्रा, पुलिस अधीक्षक अभिषेक दुल्लर, कला, भाषा एवं संस्कृति के निदेशक डा. देवेन्द्र गुप्ता, लेखक सर्वश्री ओम प्रकाश बाल्मिकी, श्रीनिवास श्रीकांत, तेज राम शर्मा, श्रीनिवास जोशी, केशव नारायण तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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