राष्ट्रीय (31/03/2013) 
एक स्पष्टीकरण
प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने आज यहां कहा कि कुछ समाचार पत्रों में इस आशय का समाचार प्रकाशित किया गया है कि सीमेंट की दर संविदा में अनियमिताएं हुई हैं, जो पूरी तरह आधारहीन हैं, जिसके माध्यम से लोगों को गुमराह करने की कोशिश की गई है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि भंडार नियंत्रक ने 14 दिसम्बर, 2012 को सीमेंट की आपूर्ति के लिए दर संविदा को अंतिम रूप देने के लिए निविदाएं आमंत्रित की थी। भंडार खरीद नियमों एवं प्रक्रिया को अपनाने के पश्चात दर संविदा को अंतिम रूप दिया गया। उन्होंने कहा कि मैसर्ज अंबूजा सीमेंट लिमिटेड, जो एल-1 फर्म है, ने  पोर्टलैंड पोजोलाना सीमेंट (पीपीसी) तथा सामान्य पोर्टलैंड सीमेंट (ओपीसी) की आपूर्ति के लिए न्यूनतम दरें दी। इसके पश्चात् ही उन्हें बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया।
उन्होंने कहा कि बातचीत के पश्चात् ही विभाग पीपीसी के लिए प्रारम्भिक में दिए गए मूल्य 174 रुपये से 161 रुपये प्रति 50 किलोग्राम बैग तथा ओपीसी के लिए 187 रुपये से 176 रुपये प्रति 50 किलोग्राम बैग की कम दर प्राप्त कर सका। इस प्रकार, पीपीसी के लिए 13 रुपये प्रति 50 किलोग्राम बैग तथा ओपीसी के लिए 11 रुपये प्रति 50 किलोग्राम बैग दर की कमी हुई।
उन्होंने कहा कि फर्म ने वैट वहन करने पर भी सहमति दी। उन्होंने कहा कि गत वर्ष सीमेंट की दर 182.70 रुपये थी, जिसमें वैट भी शामिल है, जबकि इस वर्ष यह दर केवल 161 रुपये है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने सीमेंट के प्रति बैग पर 21.70 रुपये की बचत की है, जो काफी कमी है। एल-1 फर्म से ही दर संविदा करने पर प्रदेश सरकार को लगभग 18.50 करोड़ रुपये का कुल लाभ हुआ है।
उन्होंने कहा कि दाड़लाघाट से आपूर्ति पर अतिरिक्त भाड़ा 5.42 करोड़ रुपये होगा, जिससे 13.08 करोड़ रुपये की कुल बचत होगी। एल-1 फर्म अपने स्तर पर सरकार को सीमेंट की सारी आपूर्ति करने में सक्षम है, इसलिए अन्य भाग लेने वाली फर्मों के पक्ष में समान्तर दर संविदा पर विचार नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि सीमेंट के प्रति बैग पर 21 रुपये की कमी हुई है तथा मैसर्ज एसीसी लिमिटेड इससे पूर्व जिन क्षेत्रों में सीमेंट की आपूर्ति कर रहा है, वहां भी सरकार को 8 रुपये प्रति बैग की बचत हो रही है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर सरकारी प्रापण के लिए सीमेंट गत वर्ष की अपेक्षा सस्ता हुआ है। इस प्रकार समाचार के माध्यम से लगाए गए आरोप पूरी तरह निराधार हैं।
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