राष्ट्रीय (30/03/2013) 
भारतीय भाषा आंदोलन
मातृभाषा  में शिक्षा एवं परीक्षा के मौलिक अधिकारो को लागू कराने की मांग को लेकर दिल्ली से आंदोलन की शुरुआत की जायेगी। गांधी शांति प्रतिषठान में आयोजित  पत्रकारों, पुराने आंदोलनकारियों एवं समाज के अन्य सरोकारों से जुड़े लोगांे के बीच संपन्न हुई बैठक में इस आशय का प्रस्ताव पारित हुआ।
संघ लोक सेवा आयोग सरीखे केन्द्र के अन्य प्रतियोगिता संस्थानों द्वारा परीक्षाओं की आड़ में पोषीत की जा रहीं अगं्रेजी नीति पर बैठक में विस्तार से चर्चा की गई। चैतरफा विरोध के चलते संघ लोक सेवा आयोग ने हालांकि मात्र सिविल सेवा परीक्षा में अंग्रेजी का पेपर वापिस लेकर अंग्रेजी अनिवार्यता के विरोध को शात करने की कुछ हद तक कोशीश  जरुर की है लेकिन संघ लोक संेवा आयोग द्वारा आयोजित अखिल भारतीय स्तर की 11 परीक्षाओ ंमें अभी भी अंग्रेजी का आरक्षण बरकरार है। इन परीक्षाओं से भारतीय भाषाओं को पूर्णतया बाहर रखा गया है।
संसदीय इतिहास में भाषा  के सवाल पर पहली बार एकजुट संसद एवं राज्यों के समर्थन ने भारतीय भाषाओं के सवाल को पुनः चर्चा में ला दिया है। उक्त प्रयास के लिये संसंद एवं मुख्यमंत्रियों के प्रति बैठक में धन्यवाद प्रस्ताव भी पारित किया गया। यह भी तय किया गया कि वरिषठ साहित्यकार एव आंदोलन के अग्रणी साथी डा0ॅ बलदेव वंशी  द्वारा पिछले 25वर्षो  से लिखा जा रहा आंदोलन का जीवंत वृतांत संपूर्णतया प्रकाशित किया जाऐ।
डाॅ0 वंशी  की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक का संचालन वरि’ठ पत्रकार अच्यूतानंद मिश्र एवं राहुल देव की देख रेख में संचालित हुआ।  दैनिक आज समाज से वरिषठ पत्रकार हबीब अख्तर, कादम्बिनि से संत समीर के अलावा ं सतीश  मुखिया, “याम जी भट्, देवी सिंह रावत, खादी कमीशन के पूर्व निदेशक बी.आर. चैहान, लोकहित मोर्चे के अध्यक्ष ईशवर भारद्वाज, पूर्व निदेशक भाषा -नाहर सिंह वर्मा, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव अतुल कोठारी सहित पुराने साथी महेश चन्द्र शमार्, विनोद गौतम, हरपाल राणा, एवं अन्य लोग बैठक मे शामिल हुए।
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