राष्ट्रीय (24/03/2013) 
डाॅ.राम मनोहर लोहिया की 103 वीं जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित

स्वतंत्रता सेनानी और देश के महान समाजवादी लेखक और चिंतक स्वर्गीय डा. राम मनोहर लोहिया की 103 वीं जयंती आज संघ के मुख्यालय बरवाला में पूर्ण श्रद्धा एवं सादगी से संघ के महासचिव दयानंद वत्स की अध्यक्षता में
में उनको भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर मनाई गई। इस अवसर पर वत्स ने कहा कि लोहिया जी ने आजीवन अपने आचरण और कर्म में कभी भी फर्क नहीं आने दिया। उन्होने अपनी रचनाओं में अपने विचारों में उस समाजवाद की
परिकल्पना की थी जिसका लक्ष्य आज भी प्राप्त नहीं हो सका है। लोहिया के लोग तो बहुत बढे लेकिन उनकी विचारधारा को सही मायने में अपनाने और उसे गरीब की झोंपडी तक पंहुचाने में आज के समाजवादी लगभग असफल हुए हैं।
डा. राममनोहर लोहिया की कुछ प्रमुख रचनाएं आज भी प्रासांगिक हैं उनमें प्रमुख हैं अंग्रेजी हटाओ, भारत विभाजन के गुनहगार, समाजवादी चिंतन, भारतीय शिल्प, संसदीय आचरण में उन्होने स्वकर्म और आचरण की शुचिता पर सर्वाधिक ध्यान दिलाया और स्वयं भी उसे अपने आचरण में साकार किया।
वत्स ने कहा कि आज समाजवाद, समाज के नाम पर अपना हित साधने मात्र का जरिया रह गया है। समाज को दिशा  देने वाले स्वयं दिग्भ्रमित एवं सत्ता लोलुप हो गये हैं। जिस समाजवाद का सपना लोहिया जी ने देखा था आज
वह दिवास्वप्न भर रह गया है। इसीलिए आज हमें लोहिया जी बहुत याद आते हैं।
 
दयानंद वत्स    

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